बीकानेर hellobikaner.com अखिल भारतीय व्यंग्यधारा समूह की ऑन लाइन साप्ताहिक गोष्ठी में रविवार को अध्यक्षता करते हुए मुंबई की वरिष्ठ व्यंग्य लेखिका अलका अग्रवाल सिगतिया ने कहा कि आज का समय सामान्य नहीं, बहुत विकट है और नित नई स्थितियों का सामना करना पड़ता है । ऐसे में व्यंग्यकारों को भी नए विषयों पर फोकस करना चाहिए । उन्होंने गोष्ठी में पठित व्यंग्य रचनाओं को संदर्भित करते हुए कहा कि व्यंग्यकार सामाजिक सरोकारों का पूरा ध्यान रखते हुए सृजन कर रहे हैं ।
संगोष्ठी में रायपुर से राजशेखर चौबे ने ‘ कामवाली बाइयों की गूगल मीट बढ़ाये हार्ट बीट, ‘ बेंगलरू से अरुण अर्णव खरे ने ‘तकनीक के सताए ‘, खंडवा से कैलाश मंडलेकर ने ‘ श्मशान घोटाले पर सरपंच का इकबालिया बयान ‘ और नागपुर से टीकाराम साहू ने ‘ बिहार पहुंच कर नरभसा गया कोरोना ‘ व्यंग्य रचनाओं का प्रभावी वाचन किया ।
संयोजक दिल्ली से वरिष्ठ आलोचक डॉ. रमेश तिवारी ने कहा कि आज पठित रचनाएँ शिल्प और प्रस्तुति के स्तर पर लाजवाब कही जा सकती हैं ।सभी के सरोकार और मिजाज समकालीन व्यंग्य के अनुरूप हैं ।
उज्जैन से शांतिलाल जैन, बीकानेर से संजय पुरोहित, लखनऊ से राजेन्द्र वर्मा, इंदौर से सुधीर कुमार चौधरी, जबलपुर से जय प्रकाश पांडेय, शाहजहांपुर से अनूप शुक्ल ने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि हमें व्यंग्य में नए – नए फॉर्मेट प्रयुक्त करने चाहिए तथा रचनाओं के शीर्षक चयन में सावधानी रखते हुए छोटे और आकर्षक रखने चाहिए । यदि कोई रचना पढ़ते या सुनते हुए हमें किसी क्लासिक रचना का स्मरण हो आता है तो यह उसकी सफलता है ।
समन्वयक जबलपुर से वरिष्ठ व्यंग्यकार रमेश सैनी ने कहा कि हमारे आपसी सम्बन्ध चाहे जितने प्रिय हों किंतु रचना- विमर्श के समय निष्पक्ष और तटस्थ रह कर ही रचना और रचनाकार के साथ न्याय कर सकते हैं ।
इस संगोष्ठी में राजस्थान से मधु आचार्य आशावादी, बुलाकी शर्मा, प्रभात गोस्वामी, प्रभाशंकर उपाध्याय, प्रमोद चमोली, रेणु देवपुरा, जबलपुर से विवेकरंजन श्रीवास्तव, स्नेहलता पाठक,राकेश सोहम, रायपुर से डॉ.महेंद्र ठाकुर, धनबाद से अभिजित दुबे,धमतरी से वीरेंद्र सरल, लखनऊ से बलदेव त्रिपाठी, अयोध्या से हनुमान प्रसाद मिश्र, दिल्ली से एमएम चंद्रा, लखनऊ से वीना सिंह, खरगोन से मुकेश राठौर समेत कई व्यंग्यकारों ने सक्रिय सहभागिता निभाई । आरम्भ में वरिष्ठ व्यंग्यकार राजेन्द्र वर्मा को उनके जन्म दिवस की बधाइयां दी गई ।