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हैलो बीकानेर न्यूज़ नेटवर्क, जोधपुर, hellobikaner.com राजस्थान साहित्य अकादमी की सरस्वती सभा के सदस्य एवं वरिष्ठ साहित्यकार मीठानाथ मीठेश निर्मोही ने अकादमी के अध्यक्ष एवं सचिव को पत्र लिखकर राजस्थान साहित्य अकादमी, उदयपुर  की गरिमामय एवं गौरवशाली परंपरा तथा अकादमी  संविधान  के प्रतिकूल हो रही अकादमी में अध्यक्ष, सचिव एवं कोषाध्यक्ष द्वारा की जा रही  लाखों  रुपये की गंभीर वित्तीय अनियमितताएं  तत्काल  रोकने की मांग की है। इस प्रकरण में तत्काल ही संज्ञान लेने हेतु लिखे गये पत्र की प्रतियां मुख्यमंत्री अशोक गहलोत एवं कला,साहित्य,  संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग के मंत्री बी डी कल्ला को  भी प्रेषित की गई है।

 

 

निर्मोही द्वारा  लिखे  गये पत्र में  कहा गया है कि अकादमी  की सारी शक्तियां  जो  अकादमी संविधान के अनुसार  ‘सरस्वती सभा ‘और ‘संचालिका’ तथा ‘वित्त समिति ‘ एवं  अन्य उप  समितियों  में निहित  हैं, उन पर  आप  दोनों – अध्यक्ष एवं सचिव  ने अनाधिकृत  रूप से अतिक्रमण  कर  लिया है । इस तरह आप लाखों रुपये की  गंभीर  वित्तीय अनियमितताएं बरतते  हुए  राजस्थान साहित्य  अकादमी, उदयपुर  के संविधान  को तार – तार कर  रहे  हैं । अकादमी की स्थापना से आपके मनोनयन होने के  पूर्व तक  किसी  अध्यक्ष एवं सचिव  ने अकादमी में  इस तरह की तानाशाही नहीं  की है।

 

मीठेश निर्मोही ने अपने पत्र में  यह भी लिखा है कि  45 से अधिक वर्षों से मैं  साहित्य सृजन कर रहा हूं तथा  साहित्य अकादमियों और साहित्यिक संस्थानों से प्रत्यक्ष  अप्रत्यक्ष रूप से जुड़ा  हुआ रहा हूं । मुझे यह कहते हुए क्षोभ  हो रहा है कि  राजस्थान  साहित्य अकादमी के  संस्थापक अध्यक्ष चिंतक – विचारक   माननीय  जनार्दन राय जी  नागर , हरिभाऊ जी उपाध्याय,  डाॅ प्रकाश आतुर  एवं  अन्य  अध्यक्षों   ने अकादमी  के संविधान  की पालना करते हुए  अपना योगदान  कर इस अकादमी  को देश की शीर्षस्थ  अकादमियों  में  प्रतिष्ठित  करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई  है ।  लेकिन आप दोनों   अपने अपने  पद का दुरुपयोग कर  राजस्थान साहित्य अकादमी  के उज्ज्वल  इतिहास  को , राजस्थान साहित्य अकादमी की  गरिमामय एवं गौरवशाली  परंपरा रही  है, उसे धूमिल  कर अप्रतिष्ठ कर  रहे हैं । मुझे यह लिखते हुए अत्यधिक दुःख हो रहा है  कि राजस्थान साहित्य अकादमी  के अध्यक्ष के रूप में  आप – दुलाराम सहारण  तथा आपके सहयोगी अकादमी  सचिव  बसंत सिंह  सोलंकी  के  कृत्य  असंवैधानिक और अकादमी  की गरिमामय एवं गौरवशाली परंपरा के अनुकूल  नहीं है ।

 

पत्र में उन्होंने लिखा है  कि महामहिम  राज्यपाल महोदय, राजस्थान  की आज्ञा से राजस्थान  सरकार  के  कला,साहित्य,  संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग , जयपुर  के आदेश  दिनांक  22/08/2022 के द्वारा राजस्थान साहित्य अकादमी, उदयपुर  में आप दुलाराम  सहारण  को अध्यक्ष तथा मुझे मीठानाथ  मीठेश निर्मोही, जोधपुर  एवं श्री किशन दाधीच ,उदयपुर  को  विशिष्ट  साहित्यकार  के रूप में  सरस्वती सभा का  सदस्य  मनोनीत  किया गया। और सभी ने  अगस्त, 2022 में  ही राजस्थान साहित्य  अकादमी  में  राज्य  सरकार  के आदेश  की अनुपालना  में  कार्यग्रहण  कर लिया था।

 

हमारे  कार्यग्रहण  करने के पश्चात अकादमी  संविधान के नियम 13  (घ) 5 के अंतर्गत  राजस्थान सरकार की ओर से मनोनीत अध्यक्ष – दुलाराम सहारण  एवं सरस्वती सभा के सदस्यों – मीठानाथ मीठेश निर्मोही एवं श्री किशन दाधीच द्वारा सरस्वती सभा में  राजस्थान  के 15 विशिष्ट  साहित्यकारों  को शामिल  करते हुए  ‘सरस्वती सभा’ का गठन करना था, तत्पश्चात  उपाध्यक्ष का चुनाव  तथा अकादमी संविधान  नियम 10 (क) के तहत ‘ सरस्वती सभा’  द्वारा  कोषाध्यक्ष की नियुक्ति की जानी  थी।

 

उसके पश्चात  अकादमी की   ‘संचालिका’  का गठन भी   कराया  जाना था । लेकिन आपने अकादमी में उपर्युक्त गठन से पहले ही  जिला कोषाधिकारी,  कोष कार्यालय,  उदयपुर  जो अपने मूल पद  के साथ अकादमी के कोषाध्यक्ष  का कार्य भी देख रहे थे, उन्हें  हटाकर आपने अपनी सुविधा और निजी  हितों  को देखते हुए अपने ही शहर चूरू  के एक सेवानिवृत्त कार्मिक को अकादमी में  कोषाध्यक्ष जैसे संवेदनशील और महत्वपूर्ण पद  पर  नियुक्त  कर दिया, जबकि अकादमी संविधान के अनुसार  यह नियुक्ति  सरस्वती सभा द्वारा की जानी  थी ।

 

कोषाध्यक्ष की नियुक्ति में  अकादमी संविधान के जिस  प्रावधान  का आप द्वारा  उल्लेख  किया गया है,वह प्रावधान तो सरस्वती सभा के  अस्तित्व  में  रहते हुए कोषाध्यक्ष  का पद  रिक्त होने पर तथा सरस्वती सभा तथा संचालिका की बैठक  तत्काल  आयोजित  न कर पाने की स्थिति में कार्य संचालन में  बाधा न हो इस लिए  अध्यक्ष  को अस्थाई रूप से कोषाध्यक्ष  नियुक्त  किये जाने का अधिकार  दिया गया है। यह प्रावधान  सरस्वती  सभा के अस्तित्व में  ही नहीं  होने की स्थिति में  लागू  नहीं  होता है और ऐसी स्थितियां / परिस्थितियां  भी नहीं  है कि अकादमी की सरस्वती  सभा का गठन न हो सके।

 

उन्होंने यह भी लिखा है कि आप दोनों अध्यक्ष एवं सचिव   से सरस्वती सभा, संचालिका, वित्त  समिति आदि  के गठन हेतु मेरे साथ राज्य सरकार की ओर से नियुक्त सरस्वती सभा के सदस्य  किशन दाधीच द्वारा  बार  – बार   अनुरोध किया गया। आप दोनों  यह कहते हुए टालते रहे कि आगामी  सप्ताह  भर में  गठन की कार्यवाही करली जाएगी। 15 दिन पश्चात भी अपेक्षित कार्यवाही नहीं होने पर   आप दोनोंको  पुनः  याद  दिलाया गया।  इसके उपरांत भी हमने बार – बार  अनुरोध किया किन्तु  आप दोनों  ने हमारी अनुरोध  को अनसुना  कर दिया । जबकि  प्रदेश  की लगभग सभी अकादमियों का गठन पूरा हो चुका है। आप दोनों  अपने अपने पद का दुरुपयोग कर तथा गंभीर अनियमितताएं बरतते हुए मन चाहे अनुसार  आयोजन दे  रहे हैं और  इन आयोजनों  की अध्यक्षता कर  अपने  आत्म प्रचार  में लगे हुए हैं।

 

निर्मोही ने अकादमी के  अध्यक्ष एवं सचिव को यह भी  लिखा है कि अकादमी संविधान  के अन्तर्गत विधि अनुसार  सरस्वती  सभा , संचालिका , वित्त  समिति  अन्य संवैधानिक  पदों  यथा उपाध्यक्ष, कोषाध्यक्ष तथा समितियों तथा उप समितियों  के सदस्यों  की नियुक्ति  मनोनयन  की कार्यवाही  जो आपके स्तर पर  लगभग चार माह से अनावश्यक रूप से  लंबित रखी गई  है । इसे तत्काल  संपादित करें ।आप लाखों रुपये की वित्तीय अनियमितताएं बरतते जा रहे हैं। इन  सारे  कार्यकलापों  के लिये  आप  व्यक्तिगत  रूप से  उत्तरदायी होंगे ।

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