चूरू.राष्ट्र भाषा हिन्दी प्रचार समिति श्रीडूंगरगढ सभागार में गुणीजन सम्मान समारोह समिति की ओर से आयोजित सम्मान समारोह में मंचस्थ अतिथि

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हैलो बीकानेर न्यूज नेटवर्क, चूरू, जगदीश सोनी, hellobikaner.com  गुणीजन सम्मान समारोह समिति की ओर से राष्ट्र भाषा हिन्दी प्रचार समिति के सभागार में गायक संगीतकार मोहम्मद रमजान को जसवंतमल राठी संगीत भूषण सम्मान समारोह पूर्वक प्रदान किया गया। गायक को अतिथियों द्वारा शॉल, श्रीफल, साफा के साथ 21  हजार रुपये की राशि प्रदान की गई।

 

 

समारोह में रमजान 11 हजार रुपये भीखमचंद पुगलिया तथा इक्कीस-इक्कीस सौ रुपये विजयराज सेठिया,विनोदकुमार सिखवाल ने प्रदान किए। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार श्याम महर्षि ने कहा कि श्रीडूंगरगढ़ साहित्य, संगीत और कलाओं की त्रिवेणी है। श्रीडूंगरगढ़ में श्रेष्ठ प्रतिभाओं का सम्मान करना यहां की परंपरा है। इस अवसर पर सामाजिक कार्यकर्ता तथा पुरस्कार प्रायोजक गौरीशंकर राठी ने कहा कि कस्बे में संगीत प्रतिभाओं का सम्मान होना एक सुखद बात है।

 

 

 

ऐसे आयोजन समय समय पर किए जाने चाहिए ताकि नई प्रतिभाओं का पदार्पण हो सके और हमारी प्राचीन संस्कृति जिंदा रह सके। विजयराज सेठिया ने कहा कि गायक रमजान ने अपनी गायकी से श्रीडूंगरगढ़ का नाम अनेकों दूरदराज क्षेत्रों में रोशन किया है। गुणीजन सम्मान समारोह समिति के मंत्री डॉ चेतन स्वामी ने कहा कि हमारा थली अंचल संगीत से ओतप्रोत हैं। यहां एक से एक उम्दा सांगीतिक प्रतिभाएं हुई हैं।

 

 

 पर हित सेवा के  लिए समर्पित  रहने वाले तेरापंथ  भवन धोलिया नोहरा के अध्यक्ष तुलसी सेवा संस्थान के अध्यक्ष भीखमचंद पुगलिया ने कहा कि हमें अपनी जन्मभूमि के कलाकारों को  प्रोत्साहित करने का कोई अवसर नहीं छोड़ना चाहिए। संगीत एक ऐसा क्षेत्र है कि उसमें खो कर आदमी हर मुसीबत से छुटकारा पा जाता है। कोलकाता प्रवासी संगीतकार सुमेरमल पुगलिया ने इस अवसर पर कहा कि संगीत का जहां सम्मान होता हैं,वहां संस्कृति की प्रत्यक्ष रक्षा होती है।

 

 

कलाओं के संरक्षण एवं नई प्रतिभाओं को प्रोत्साहित करने के लिए कस्बे के लोगों को आगे आना होगा। समिति अध्यक्ष लॉयन महावीर माली ने कहा कि  इस धरा से निकल कर मोहम्मद रमजान ने बड़े बड़े शहरों व संगीत की दुनियां में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई है। यह हमारे लिए सौभाग्य की बात है। सत्यदीप- मंच संचालन करते हुए साहित्यकार सत्यदीप ने कहा कि राजस्थान की पारम्परिक गायकी राग मांड में पारंगत रमजान ने एक अमिट छाप छोड़ी है और मुकाम हासिल किया है। तबले पर संगत राजू दम्मामी ने की।

 

 

सुभाष स्वामी, पुरूषोतम काका, चिराग दम्मामी, भंवर दम्मामी  सुभाषचन्द्र जेसे कलाकार तथा श्रोताओं में बजरंग शर्मा, एडवोकेट भरतसिंह राठौड़, श्याम आर्य, रामचन्द्र राठी, राजेन्द्र प्रसाद स्वामी, मनोज डागा (आपणो गांव सेवा समिति), शुभकरण पारीक, रामचन्द्र सोनी, रूपचंद सोनी, स्टेशन अधीक्षक राजेन्द्र सोनी, महावीर सारस्वत, गोपाल राठी, सुशील सेरड़िया, कांति पुगलिया, पंडित रामदेव उपाध्याय, पत्रकार अशोक पारीक, अध्यापक मूलचंद स्वामी, ठेकेदार शिव नाई, डॉ मनीष सैनी, महेश जोशी, सेवादल के विमल भाटी, विक्रमसिंह कोटड़िया, गायक तनवीर, ओमप्रकाश गुरावा, राधेश्याम सारस्वत, सोनू मारू, महेश राजोतिया, रमेश व्यास, सुरेश भादानी, दिलीप इन्दौरिया, प्रशांत स्वामी पत्रकार, इन्द्र चंद तापड़िया तथा विजय महर्षि और फोटोग्राफर अनिल पारीक जैसे अनेक गणमान्य जनों की उपस्थिति रही। संचालन  साहित्यकार सत्यदीप ने किया।

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