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हैलो बीकानेर, नोहर (आशीष पुरोहित)। प्रख्यात कवि-कहानीकार व नाटककार हरीश बी.शर्मा ने कहा है कि जहां संवेदनाएं हैं, वहीं साहित्य है। कवि बनने के लिए व्यक्ति का मन संवेदनशील होना बहुत जरूरी है। आज के समय में हम तेजी से प्रेक्टिकल होते जा रहे हैं। ऐसे में सफल होना अलग बात है, लेकिन मानवीय हुए बगैर जीवन की सार्थकता अधूरी है।
शर्मा ने नोहर के गार्गी कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय में आयोजित संवाद कार्यक्रम में छात्राओं को संबोधित करते हुए यह कहा। यह कार्यक्रम श्री शारदा साहित्य संस्थान और कविता-कोश द्वारा आयोजित सूत्र कार्यक्रम के तहत हुआ, जिसमें शर्मा ने अपनी गद्य व पद्य की प्रतिनिधि रचनाओं का वाचन किया और छात्राओं के सवालों के जवाब भी दिए।
शर्मा ने कहा कि आज रचनाकर्म तो बहुत हो रहा है, लेकिन कालजयी लेखन कहीं नहीं दिख रहा है। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि लिखने वालों में स्वाध्याय की प्रवृत्ति कम होती जा रही है। जब तब हम अपने से पहले का लिखा नही पढ़ेंगें, हम यह नहीं जान पाएंगे कि अब तक कितना लिखा जा चुका है और अब क्या लिखना है। इस दृष्टि के अभाव में एक ही विषय पर बार-बार बल्कि कितनी ही बार लिखा जा चुका है। अपने से पूर्ववर्ती रचनाकारों को पढऩे की आदत और आम आदमी के मन को समझने की कला ही श्रेष्ठ सृजन का मार्ग प्रशस्त करती है।

उन्होंने कहा कि मौलिक और परिपक्व लेखन ही सृजन है। यह जितना चेतन होगा, उतना ही आम आदमी के मन तक पहुंचेगा और जन-मन तक पहुुंचना ही किसी भी साहित्य का अभीष्ट होता है। अपने समय से अपरिचित साहित्यकार कभी भी बेहतर नहीं रच सकता, इसलिए अपने आसपास के माहौल और बदलाव को समझने की संवेदना को विकसित करते रहने का प्रयास निरंतर करते रहना चाहिए।
इस मौके पर उन्होंने अपनी कहानी ‘अपराध-बोधÓ सुनाई। उनकी कविता ‘नीड़ के तिनकों की जलती एक धूनीÓ, ‘मेरा सब अर्पण है तुझकोÓ, ‘वह लगे सुहानी बरखा सीÓ, ‘उड़ती रेत बहता पानीÓ, ‘पहले तो खोलते हैं मुझे वो तार-तारÓ को भी काफी सराहना मिली।
कार्यक्रम के संयोजक महेंद्रप्रताप शर्मा ने प्रारंभ में कार्यक्रम की जानकारी देत हुए कहा कि सूत्र कार्यक्रम रचनाकार और पाठक के बीच संवाद का एक सेतु है। इस कार्यक्रम के माध्यम से साहित्यकार की रचना प्रक्रिया और रचना-पाठ पर पाठकों से संवाद की योजना है। इस योजना के तहत जाने-माने साहित्यकारों को नोहर में संवाद के लिए आमंत्रित किया जाएगा। उन्होंने बताया कि साहित्य को आम आदमी से जोडऩे के लिए इस तरह की योजना बनाई गई है।
कार्यक्रम में वरिष्ठ साहित्यकार डॉ.भरत ओळा ने कहा कि सृजनधर्मियों से आम जन के साक्षात्कार की यह योजना नोहर के साहित्यिक माहौल को समृद्ध करने में एक मील का पत्थर साबित होगी। उन्होंने कहा कि नोहर के पाठकों को अपने स्थानीय साहित्यकारों को भी पढऩा चाहिए। उन्होंने कहा कि रचनाकार की दृष्टि कुछ अलग होती है लेकिन वह यथार्थ और कल्पना के मिश्रण से अपने समय का श्रेष्ठ देने का प्रयास होता है। साहित्य समाज के लिए आदर्श प्रस्तुत करता है।
महाविद्यालय के प्राचार्य सतीश राहड़ आभार मानते हुए कहा कि इस तरह के आयोजनों से छात्राओं के बौद्धिक स्तर का विकास होगा। इस अवसर पर महाविद्यालय के लिए गायत्री प्रकाशन, बीकानेर तथा शारदा साहित्य संस्थान की ओर से पुस्तकों का सेट भेंट किया गया। महाविद्यालय की ओर से हरीश बी.शर्मा को सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर साहित्यकार डॉ.शिवराज भारतीय, डॉ.हाकम नागरा, कीर्ति शर्मा, रमेश शर्मा, सुनीति पुरोहित, प्रदीप पुरोहित, बलदेव महर्षि, धर्मवीर शर्मा, शैलजा शर्मा आदि उपस्थित थे।

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