
हैलो बीकानेर न्यूज़ नेटवर्क, www.hellobikaner.com, बीकानेर 29 मार्च। प्रज्ञालय संस्थान एवं राजस्थानी युवा लेखक संघ द्वारा अपनी मासिक साहित्यिक नवाचार के तहत प्रकृति पर केन्द्रित ‘काव्य रंगत-शब्द संगत‘ की ग्यारहवीं कड़ी लक्ष्मीनारायण रंगा सृजन सदन नत्थूसर गेट बाहर संपन्न हुई।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार कमल रंगा ने कहा कि आग प्रकृति का एक महत्वपूर्ण स्वाभाविक उपक्रम है। काव्य ने वस्तुतः आग के अर्थ और भाव का अंतर्जगत तक वृहत विस्तार कर दिया है, जहां विभिन्न मनोवृतियां आग के बिम्ब में अभिव्यक्त होती रही है। जो कुछ अर्थो में हमारे स्वास्थ्य के लिए भी जरूरी है। साथ ही मानव की गतिविधियों और जलवायु परिवर्तन का भी एक कारक है, जिसे कवि ने हमेशा अपनी सृजनधर्मिता से कई आयाम दिए है।
रंगा ने आगे कहा कि आज की ग्यारहवीं कड़ी मंे विशेष आमंत्रित कवियों ने प्रकृति के नैसर्गिक स्वभाव को ’आग’ के विभिन्न पक्षों को उकेरते हुए काव्य रस धारा से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरिष्ठ कवयित्री श्रीमती इन्द्रा व्यास ने कहा कि नवाचार का नाम ही प्रज्ञालय संस्थान है। संस्थान द्वारा नगर की समृद्ध साहित्य परंपरा को नई ऊंचाईयां देने के लिए समर्पित भाव से निरन्तर आयोजनरत है। जिसके लिए संस्थान साधुवाद की पात्र है। प्रकृति पर केन्द्रित बारह कडियेंा का आयोजन अपने आप में महत्वपूर्ण है।
कार्यक्रम अध्यक्ष वरिष्ठ कवि कमल रंगा ने काव्य पाठ करते हुए अपनी कविता-आ आखर री अगन/करै राती-माती/अंतस नैं/म्हैं चंचेडू/करूं आफळ/रैवे चेतन हरमेस….. के माध्यम से अक्षर की सृजन अगन को रेखांकित करते हुए अपनी बात कही। वहीं मुख्य अतिथि श्रीमती इन्द्रा व्यास ने जलाय देवे आग/नैतिकता ने/भ्रष्ट कर नाखे/मानवता ने/जबरी घणी हुवै/आ पेट री आग….. पेश कर आग का मानवीयकरण किया।
इस महत्वपूर्ण काव्य संगत में डॉ. नृसिंह बिन्नाणी, जुगल किशोर पुरोहित, गिरिराज पारीक, यशस्वी हर्ष, हरिकिशन व्यास, मदन गोपाल व्यास ‘जैरी’, युवा कवि आनन्द छंगाणी आदि ने अपनी आग पर केन्द्रित गीत, कविता, ग़ज़ल, हाइकू एवं दोहों से सरोबार इस काव्य रंगत में शब्द की शानदार संगत करी।
प्रारंभ में सभी का स्वागत करते हुए वरिष्ठ इतिहासविद् डॉ. फारूख चौहान ने आयोजन के महत्व को रेखांकित करते हुए सभी का स्वागत किया। कार्यक्रम में भवानी सिंह, पुनीत कुमार रंगा, हरिनारायण आचार्य, अशोक शर्मा, नवनीत व्यास, सुनील व्यास, कार्तिक मोदी, अख्तर अली, तोलाराम सारण, घनश्याम ओझा, कन्हैयालाल पंवार, बसंत सांखला आदि ने काव्य रंगत-शब्द संगत की रस भरी इस काव्य धारा से सरोबार होते हुए हिन्दी के सौन्दर्य, उर्दू के मिठास एवं राजस्थानी की मठोठ से आनन्दित हुए।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए कवि गिरिराज पारीक ने बताया की अगली बारहवीं कड़ी अप्रेल माह में ‘पानी’ पर केन्द्रित होगी। अंत मंे सभी का आभार युवा संस्कृतिकर्मी आशीष रंगा ने ज्ञापित किया।