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नई दिल्ली। इंटरकनेक्शन शुल्क (आईयूसी) को लेकर दूरसंचार क्षेत्र की कंपनियों रिलायंस जियो और भारती एयरटेल के बीच जारी विवाद अब भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के पास पहुंच गया है।
जियो ने एयरटेल पर आरोप लगाया है कि उसने आईयूसी के संबंध में गलत आंकड़े तथा तथ्य पेश करके ट्राई और उपभेाक्ताओं की आंखों में धूल झोंकने की कोशिश की है। जियो ने इस संबंध में ट्राई के अध्यक्ष आर.एस. शर्मा को पत्र लिखा है और आईयूसी के कारण नुकसान होने के एयरटेल के दावे को आंकड़ों के जरिये खारिज करने की कोशिश की है।
भारती एयरटेल ने कुछ समय पहले दावा किया था कि आईयूसी की वजह से पिछले पांच वर्ष में उसे कई करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। जियो ने इस दावे का खंडन करते हुए कहा है कि एयरटेल ने गलत तरीके से हासिल लाभ को छुपाने तथा आईयूसी की प्रक्रिया की समीक्षा को प्रभावित करने के लिए गलत आंकड़े पेश किये हैं। दरअसल ट्राई ही आईयूसी दर का निर्धारण करता है। दूरसंचार कंपनियां अन्य किसी कंपनी से अपने नेटवर्क पर आनी वाली कॉल पर आईयूसी वसूलती हैं।
जियो ने अपने पत्र में लिखा है कि एयरटेल ने जानबूझकर इस तथ्य को छुपाया कि वह आईयूसी के भुगतान की वसूली अपने उपभोक्ताओं से करती हैं और इसका पता उसके रिटेल वॉइस टैरिफ से चलता है। एयरटेल ऑफ नेट आउटगोइंग कॉल में एक प्रीमियम दर है और यही वह अपने उपभोक्ताओं से आईयूसी के लिए वसूल करती है। एयरटेल ऑन नेट कॉल के लिए यह प्रीमियर दर वसूल नहीं करती है। इसी कारण एयरटेल का यह दावा गलत है कि उसे आईयूसी के कारण नुकसान हो रहा है जबकि वह इसकी भरपाई उपभोक्ताओं से कर रही है। 

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