अपने सपनों को नई उड़ान देने और किस्मत चमकाने के लिए कई भारतीय अमरीका जाते हैं. इनमें से कई भारतीय-अमरीकी नागरिक वहां परोपकारी कामों में भी लगे हैं.
इसी कड़ी में एक नया नाम जुड़ा है किरन पटेल का, जिन्होंने फ्लोरिडा यूनिवर्सिटी को 50 करोड़ डॉलर यानी करीब 1300 करोड़ रुपये की बड़ी रकम दान दी है.
बचपन से पैसा बचाने की आदत
आठ साल के किरन पटेल जब समय स्कूल में थे. वे अपने पॉकेट मनी के पैसों को पिग्गी बैंक में डाल देते थे. जबकि उनका छोटा भाई और दोस्त इन्हीं पैसों से चॉकलेट और सोडा खरीद लेते थे.
कुछ सालों में किरन पटेल ने अपनी पॉकेट मनी से इतना पैसा बचा लिया कि वो खुद के लिए, माता-पिता और दोनों भाइयों के लिए जहाज की टिकट ख़रीद सकें और इस तरह वो 12 साल बाद समुद्री रास्ते से ज़ाम्बिया से भारत की यात्रा करने में कामयाब रहे.
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आज 60 साल बाद डॉक्टर किरन सी पटेल जब यह कहानी सुना रहे थे तो वे अपने 14 सीट वाले बड़े से निजी विमान में बैठे थे. उन्होंने ज़ाम्बिया के छोटे से शहर से निकलकर फ्लोरिडा तक का सफर तय किया.
कुछ ही घंटों बाद डॉक्टर पटेल और उनकी पत्नी डॉक्टर पल्लवी पटेल ने फ्लोरिडा यूनिवर्सिटी को 1300 करोड़ रुपये दान देने का वादा किया.
अमरीकी संस्थान में सबसे बड़ा दान
किसी भी भारतीय-अमरीकी द्वारा अमरीकी संस्थान को दी गई यह अब तक की सबसे बड़ी दान राशि है. इस राशि से नोवा साउथईस्टर्न यूनिवर्सिटी (एनएसयू) दो मेडिकल कॉलेज बनवाएगी, एक फ्लोरिडा में तो दूसरा भारत में.
डॉक्टर पटेल कहते हैं, ”मैंने बचपन में ही यह बात सीख ली थी कि अगर हम एक रुपया बचाते हैं तो वह एक रुपया कमाने जैसा ही है, और इसे वहां देना चाहिए जहां इसकी सबसे ज़्यादा जरूरत हो.”
पटेल उस दौर में बड़े हुए जब ज़ाम्बिया में रंगभेद की समस्या बहुत ज़्यादा थी. उन्हें स्कूल जाने के लिए शहर से 80 किलोमीटर दूर जाना पड़ा, क्योंकि उनके शहर में काले बच्चों के लिए कोई स्कूल नहीं था.
उन्होंने भारत में मेडिकल की पढ़ाई की फिर अपनी पत्नी के साथ 1976 में वे अमरीका चले गए.
खड़ा किया कारोबार
पेशे से कार्डियोलॉजिस्ट (हृदय रोग विशेषज्ञ) डॉक्टर पटेल ने एक बड़ा बिजनेस साम्राज्य खड़ा किया. उन्होंने अलग-अलग विशेषज्ञता वाले चिकित्सकों का एक नेटवर्क तैयार किया. साल 1992 में उन्होंने एक हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी ख़रीदी जो दिवालिया होने की कगार पर थी.
10 साल बाद जब उन्होंने इस कंपनी को बेचा तो इसमें 4 लाख से ज़्यादा सदस्य थे और इसका राजस्व 100 करोड़ डॉलर से ऊपर पहुंच चुका था.
डॉक्टर पटेल खुद को एक आक्रामक उद्यमी कहलाना पसंद करते हैं. वे एक पुरानी गुजराती कहावत पर विश्वास करते हैं जिसका मतलब है, ”जब समृद्धि की देवी खुद आपके दरवाजे पर दस्तक दे, तब हमें अपना चेहरा धोने के लिए दूर नहीं चले जाना चाहिए.”
डॉक्टर पटेल कहते हैं, ”मैं रिस्क लेने वाला इंसान हूँ जो 90 मील प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ना चाहता है, मेरा पांव हमेशा एक्सेलेरेटर पर रहता है.”
अपनी 44 वर्षीय पत्नी डॉक्टर पल्लवी पटेल की तरफ इशारा करते हुए वे कहते हैं, ”मेरी रफ्तार को संभालने वाली और एक्सेलेरेटर पर ब्रेक लगाने वाली ये हैं.”
‘अमीर न भी होता तब भी करता मदद’
हाल के सालों में कई कामयाब भारतीय-अमरीकी नागरिकों ने दान देने की अपनी आदतों में बदलाव किया गया है. वे मंदिरों और धार्मिक स्थलों पर दान देने की जगह कुछ संगठन बनाने लगे हैं.
दान देने वालों की सूची में पटेलों के अलावा कई दूसरे लोग भी शामिल हैं. 2015 में चंद्रिका और रंजन टंडन ने न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग के लिए 650 करोड़ रुपये दान देने का वादा किया था. इसी तरह संजू बंसल फाउंडेशन वाशिंगटन डीसी इलाके में बहुत से गैर-लाभकारी संस्थानों को दान देती है.
पटेल कहते हैं कि अगर वे अमीर न होता तब भी वे दूसरों की मदद जरूर करते.
वे कहते हैं ”ज़ाम्बिया या गुजरात में मेरे पिता के पास बहुत ज़्यादा पैसा नहीं था फिर भी वे हमेशा जरूरतमंदों की मदद किया करते थे.”
डॉक्टर पटेल ने गुजरात के एक गांव में 50 बिस्तर वाले एक अस्पताल समेत कई दूसरे परोपकारी कामों के लिए दान दिया है.
पटेल ने बताया कि उनके दान की रकम में से 5 करोड़ डॉलर तो सीधे स्कूल के खाते में चले जाएंगे जबकि 15 करोड़ डॉलर से मेडिकल शिक्षा के लिए इमारत बनाई जाएगी.
इतनी बड़ी रकम दान देने का प्रमुख लक्ष्य फ्लोरिडा के छात्रों को भारत में स्वास्थ्य संबंधी अनुभव देना और भारतीय छात्रों को फ्लोरिडा के संस्थान में एक साल बिताने का मौका देना है.
साथ ही भारत और ज़ाम्बिया में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करना और उचित दरों पर इलाज मुहैया करवाना शामिल है.
डॉक्टर पटेल बताते हैं, ”ज़ाम्बिया के एक छात्र को भारत में पढ़ने और रहने के लिए 13 लाख रुपये से कम खर्च करना होता है, हम हज़ारों लोगों को इसके जरिए मदद पहुंचा सकते हैं.
आलीशान जीवन के शौकीन
डॉक्टर पटेल एक आलीशान जीवन जीने वाले व्यक्ति नज़र आते हैं. पिछले पांच साल में उन्होंने चार प्राइवेट जेट खरीदे और फिलहाल वे फ्लोरिडा के टैम्पा में एक महल जैसा घर बनवा रहे हैं.
40 बेडरूम वाले उनके बंगले को लाल पत्थर से बनवाया जा रहा है, यह पत्थर विशेषरूप से भारत से मंगवाया गया है. पिछले पांच साल से 100 से ज्यादा लोग इसे बना रहे हैं. पटेल मानते हैं कि जब यह बंगला तैयार हो जाएगा तो उनकी तीन पीढ़ियां इसमें रह सकेंगी.
डॉक्टर पटेल का निर्माणाधीन बंगलाडॉक्टर पटेल की पत्नी कहती हैं कि प्राइवेट जेट से उड़ना या किसी आलीशान बंगले में रहना उतना बेहतर भी नहीं है जितना वे एक मध्यमवर्गीय परिवार में रहकर महसूस करती थीं.
वे कहती हैं, ”उनके पति ने इतना कमाया है इसलिए वे खर्च करने का अधिकार भी रखते हैं.” वे अपने पति को किफायत के हिसाब से खर्च करने वाला बताती हैं.
अपने बच्चे की एक बात याद करते हुए डॉक्टर पल्लवी पटेल बताती हैं कि उनका बेटा शिलन 9 साल का था, एक दिन वह स्कूल से लौटा और उसने अपने पिता से पूछा, ”पापा, क्या हम अमीर हैं? तब डॉक्टर पटेल ने जवाब दिया, ”अमीर मैं हूं, तुम नहीं.”
वे कहती हैं, ”हमने इसी तरह अपने बच्चों की परवरिश की है, उन्हें हमेशा यह ध्यान दिलाया है कि उन्हें अपनी ज़िंदगी खुद बनानी होगी.” साभार : (बीबीसी हिन्दी)