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जयपुर । राज्य में नागरिकों को प्रदेश में दर्ज अधिकांश प्राथमिकी का अवलोकन करने एवं डाउनलोड करने की सुविधा प्रदान की गई है। इस सुविधा का सोमवार को पुलिस महानिदेशक  अजीत सिंह ने पुलिस मुख्यालय में प्रारम्भ  किया।
इस अवसर पर महानिदेशक पुलिस  अजीत सिंह ने बताया कि इस सुविधा को प्रारम्भ करने से सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय Youth Bar Association of India V/s UOI & Others [W.P.(CRL) No.68/2016] के तहत नागरिकों को प्रथम सूचना रिपोर्ट उपलब्ध कराने के आदेश की भी पालना सम्भव हो पाई है। उन्होंने आशा जताई कि नागरिकगण इस सुविधा का पूर्ण उपयोग करेंगे।
 सिंह ने बताया कि इस सुविधा में लैंगिक अपराधों(Sexual offenses), पोक्सो, DV 2012 (POCSO ACt 2012), संवदेनशील मामलों (Sensitive Issues), राजद्रोह (Insurgency), आतंकवाद (Terrorism) एवं तत्संबंधित प्रकृति के मामले (Matters of related nature) इत्यादि का प्रकाशन नहीं किया जाता है। अन्य सभी एफआईआर को प्रकाशित किया जायेगा। सुविधा को प्रारम्भ करने के समय तक कुल 105490 एफआईआर को प्रकाशित किया जा चुका है। पारदर्शिता की दिशा में भी यह राजस्थान पुलिस का बड़ा प्रयास है।
      महानिदेशक पुलिस ने बताया कि सीसीटीएनएस के नागरिक पोर्टल पर अन्य  नागरिक सुविधाऎं यथा चरित्र सत्यापन, घरेलू नौकर सत्याापन, किरायेदार सत्यापन, कर्मचारी सत्यापन, शिकायत आदि सेवाऎं भी नागरिकों के लिये सीसीटीएनएस परियोजना के माध्यम से शीघ्र उपलब्ध करवाई जायेंगी।
       सिंह ने बताया कि यह सुविधा नागरिकों को मोजिला फायरफाक्स इन्टरनेट ब्राउजर पर https://citizen.rajpolice.gov.in पर ’’देखें प्राथमिकी’’ नामक लिंक पर उपलब्ध होगी। नागरिक को सर्वप्रथम यूजर आईडी बना कर रजिस्टर करना होगा तथा सुविधा के उपयोग हेतु लॉग इन भी करना होगा। उपरोक्त सुविधा राजस्थान पुलिस के वेबपोर्टल http://police.rajasthan.gov.in पर CCTNS Citizen Portal (View FIR) लिंक पर भी उपलब्ध है।
स्टेट क्राईम रिकॉर्ड ब्यूरो,जयपुर के अतिरिक्त महानिदेशक पुलिस श्री कपिल गर्ग ने बताया कि भारत सरकार द्वारा मिशन मोड परियोजना ’’सीसीटीएनएस’’ का देशभर में क्रियान्वयन किया जा रहा है। पुलिस स्टेशनों के रिकॉर्ड का कम्यूटरीकरण कर पुलिस को नागरिकों के अनुकूल और अधिक पारदर्शी बनाना, आईसीटी के प्रभावी उपयोग के माध्यम से सेवाओं में सुधार, अपराधों की जांच व अपराधों का पता लगाने के लिए जांच अधिकारियों को सहायता प्रदान करना, कानून और व्यनवस्था, यातायात प्रबंधन आदि क्षेत्रें में पुलिस कामकाज में सुधार करना, पुलिस थानों, जिलों, राज्य, मुख्यालयों और अन्य पुलिस एजेंसियों के बीच सूचनाओं को साझा करने में सहायता, पुलिस बल के बेहतर प्रबंधन में वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की सहायता, न्यायालय मामलों की प्रगति को ट्रेक करना, मैन्युअल व आवश्यक रिकॉर्ड में कमी करना इस प्रोजेक्टर के मुख्य उद्देश्य हैं।
     गर्ग ने बताया कि राजस्थान में भी इस परियोजना का क्रियान्वयन वर्ष 2012 में आरम्भं किया गया था परन्तु  सिस्ट्म इन्टींग्रेटर के परियोजना से समय से पूर्व एक्जिट करने के फलस्वरूप बिहार सहित राजस्थान देश के अन्तिम दो राज्योें में पहॅुच गया था। अतिरिक्त महानिदेशक पुलिस ने बताया कि वर्ष 2016 में स्टेट क्राईम रिकॉर्ड्स ब्यूरो, राजस्थान, जयपुर द्वारा ’प्रोजेक्टर इम्लीमेन्टेशन प्लान’ को संशोधित रूप दिया गया एवं नई योजना के अनुसार इस परियोजना पर कार्य शुरू किया गया। फलस्वरूप मार्च एवं अप्रेल 2017 में दो माह से भी अल्प अवधि में राजस्थान के समस्त  थानों में सीसीटीएनएस सॉफ्टवेयर में डेटा एन्ट्री  प्रारम्भ की गई। इसी प्रकिया में थानों का रोजनामचा भी ऑनलाईन किया जा चुका है।
उन्होनें बताया कि सीसीटीएनएस सॉफ्टवेयर में अब तक 1,14,008 एफआईआर, 28,797 गिरफ्तारी, 29,356 फाइनल रिपोर्ट, 5,689 मिसिंग पर्सन रिपोर्ट तथा 6,498 मर्ग दर्ज की जा चुकी हैं।

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