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हैलो बीकानेर। गैर सरकारी शिक्षण संस्थाओं की विभिन्न प्रकार की समस्याओं और मांगों के संदर्भ में शुक्रवार को ऊर्जावान और युवा निदेशक माध्यमिक शिक्षा,  नथमल डिंडेल के साथ हुई बैठक में निदेशक महोदय ने पूरी गंभीरता के साथ एक एक बिंदु को बारीकी से समझा और स्पष्ट कहा कि वैधानिक काम के लिए वे हर समय आपके सहयोग के लिए तैयार हैं। इस अवसर पर हुई सकारात्मक और सार्थक चर्चा से अभिभूत निदेशक महोदय के साथ करीब पचास मिनिट तक चली बैठक में स्कूल शिक्षा परिवार, जयपुर के प्रदेश अध्यक्ष  अनिल शर्मा, प्राईवेट एज्यूकेशनल इंस्टीट्यूट्स प्रोसपैरिटी एलायंस (पैपा) के प्रदेश समन्वयक गिरिराज खैरीवाल, नोखा निजी विद्यालय संघ के महामंत्री  इंद्र सिंह भाटी, स्कूल शिक्षा परिवार के महासचिव श्रवण बोहरा, अशोक बंसल और पैपा के राजेश व्यास सम्मिलित हुए।

 अनिल शर्मा ने निजी स्कूलों की तथाकथित गलत छवि के कारण समाज में निजी स्कूलों के प्रति बने नकारात्मक वातावरण को बदलने की आवश्यकता पर जोर देते हुए सबसे पहले प्रदेश में चल रहे कोचिंग सेंटर्स के विरुद्ध कार्रवाई के संबंध में विशेष चर्चा की और बताया कि कोचिंग सेंटर्स से कोई दिक्कत नहीं है, दिक्कत है कोचिंग के बहाने स्कूल का संचालन करने से। बिना मान्यता एवं प्राप्त मान्यता से उच्च स्तरीय कक्षाओं के संचालन करने वाली शिक्षण संस्थाओं के विरुद्ध कार्रवाई के संबंध में भी चर्चा की गई।
निदेशक महोदय ने पूरी गंभीरता से कोचिंग सेंटर्स एवं कुछ स्कूलों द्वारा किया जा रहा खेल समझा और पूर्ण रूप से आश्वस्त किया कि अत्यंत ही शीघ्र कोचिंग सेंटर्स एवं अवैधानिक कार्य में लिप्त स्कूलों की जांच की रुपरेखा बनाकर सभी डीईओ को सख्ती के साथ अवैधानिक कार्य में लिप्त कोचिंग सेंटर्स और स्कूलों के विरुद्ध कार्रवाई के लिए पाबंद किया जाएगा।
पैपा के प्रदेश समन्वयक गिरिराज खैरीवाल ने टी सी के बगैर प्रवेश नहीं दिए जाने के विषय में बताया और इस प्रावधान पर भी विस्तार से चर्चा की गई। निदेशक महोदय ने कहा कि शीघ्र ही इस संबंध में स्पस्ट आदेश जारी कर दिए जाएंगे। सरकारी और गैर सरकारी शिक्षण संस्थाओं के विद्यार्थियों के साथ सरकार एवं माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा किए जा रहे पक्षपात के संबंध में भी निदेशक महोदय को विस्तृत रूप से जानकारी दी गई। साथ ही बोर्ड की मनमानी के बारे में भी बताया गया। राज्य के कुछ जिला शिक्षा अधिकारियों द्वारा नियमों के परे जाकर किए जा रहे कार्यो के विरुद्ध कार्रवाई करने के लिए भी चर्चा हुई। चर्चा में बताया गया कि किसी भी जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा किसी भी स्कूल की मान्यता रद्द नहीं की जा सकती है और जिन जिला शिक्षा अधिकारियों ने ऐसा किया है, उनके विरुद्ध नियमानुसार कार्रवाई के लिए मांग की गई।

निदेशक महोदय ने कहा कि वे ऐसे प्रकरणों की जांच के बाद दोषी जिला शिक्षा अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे। इस मौके पर जिला शिक्षा अधिकारियों की हठधर्मिता, अज्ञानता और पूर्वाग्रह के कारण अटकी हुई मान्यता व अन्य पत्रावलियों के शीघ्र निस्तारण के लिए भी सहमति बनी। साथ ही प्रत्येक तीन महीनों में स्कूल शिक्षा परिवार के जिला ईकाई के प्रतिनिधियों के साथ हर जिले के डी ई ओ के साथ मिटिंग की अनिवार्यता के आदेश को सख्ती से लागू करने के लिए मांग की गई। फीस और पाठ्यक्रम के विषय सहित कुल 16 बिंदुओं पर इस बैठक में विशेष चर्चा हुई और सभी बिंदुओं के शीघ्र निस्तारण के लिए निदेशक डिंडेल ने आश्वासन दिया।
बैठक में शिक्षा में नवाचारों के विषय पर भी खुलकर चर्चा हुई और निदेशक महोदय ने इस बात की भरपूर प्रशंसा भी की। बैठक के पश्चात प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय के सहायक निदेशक च्यानणमल भार्गव के साथ भी फीस अधिनियम, आरटीई सहित अनेक बिंदुओं पर सार्थक चर्चा की गई।

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