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जोधपुर। माननीय राजस्थान उच्च न्यायालय की खण्डपीठ के वरिष्ठतम न्यायाधीश संगीत लोढा एंव विरेन्द्र कुमार माथुर ने बीकानेर जिले कीं कोलायत तहसील के गांव मिठडीया, फूलासर, गिराजसर, गांधी, बज्जू, रणजीतपुरा में खाधानो के वितरण में हो रही घोटाले की जनहित याचिका को निस्तारित करते हुए खाधान्न, आपूर्ति एवं वितरण विभाग को वर्ष 2013 से वर्ष 2016 तक के खाधान्न में हुई धांधली के संदर्भ में एक कमेटी गठित कर खाधान्न वितरण की जांच तीन माह में पूरी कर कानूनी कार्यवाही करने के आदेश दिये  ।  बीकानेर जिले की कोलायत तहसील के गांव मिठडीया, फूलासर, गिराजसर, गांधी, बज्जू, रणजीतपुरा के खाधान्न के अनियमित रूप से हो रहे वितरण के विरूद्व बीकानेर जिले के निवासी श्रीमान सहीराम पूनिया जो केन्द्रीय खाध्य सुरक्षा भ्रष्ट्राचार उन्मूलन संघर्ष समिति के संयोजक है एंव सर्वहितकारी वरिष्ठ नागरिक मंच के अध्यक्ष श्री फकीरचंद व्यास ने माननीय राजस्थान उच्च न्यायालय के समक्ष एक जनहित याचिका अपने अधिवक्ता प्रमेन्द्र बोहरा के माध्यम से प्रस्तुत करते हुए निवेदन किया था कि कोलायत तहसील में वर्ष 2013 से राष्ट्रीय खाधान सुरक्षा अधिनियम 2013 के तहत खाधान्न वितरण में गम्भीरतम अनियमितता हो रही है । इस संदर्भ में उन्होने विभाग के समक्ष अनेको बार अभ्यावेदन प्रस्तुत किया है एंव अनेको बार धरने देने के उपरांत भी विभाग द्वारा हो रही अनियमिताओ की ओर कोई ध्यान नही दिया जा रहा है तथा गरीब के हिस्से का निवाला धनाढय सेठो के कारखानो में जा रहा है ।  इसके लिये गांव वालो ने जिलाधीश महोदय, आयुक्त महोदय, भ्रष्टाचार निवारण मामलात विभाग एंव राज्य सरकार को नियमित रूप से अभ्यावेदन प्रस्तुत किये जा रहे है तथा सूचना के अधिकार के तहत भी सूचनाओ की मांग की गयी परन्तु खाधान विभाग द्वारा किसी भी प्रकार की कोई कार्यवाही नही की गयी । इसी क्रम में दिनाक 15.5.2017 से गांववालो द्वारा नियमित रूप से जिलाधीश के कार्यालय के बाहर धरना दिया जा रहा है इसके बावजूद भी राज्य सरकार द्वारा इस संदर्भ में किसी प्रकार की कार्यवाही नही की जा रही है । खाधान्न वितरण में इतनी धांधली की जा रही है कि खाधान्न गांववालो के नाम से उठाये जा रहे है लेकिन वस्तुस्थिति में उन गांववालो के पास वह खाधान्न नही पहुच रहे है । इससे भी एक कदम आगे बढते हुए विभाग द्वारा जो लोग इस राष्ट्रीय खाधान्न सुरक्षा अधिनियम के तहत खाधान्न लेने के लिये सक्षम नही है उन लोगो के नाम से भी विभाग द्वारा खाधान्न उठाया जा रहा है साथ ही जिन लोगो का देहान्त हो गया है उनके नाम से भी खाधान्न उठाये जा रहे है । इस कृत्य की शिकायत भी बीकानेर निवासीयो द्वारा उपखण्ड अधिकारी एंव राज्य सरकार को की गयी जिसका भी विभाग द्वारा केाई प्रसंज्ञान नही लिया गया ।  खाधान्न विभाग के इस कृत्य से व्यथित होकर प्रार्थीगण द्वारा एक जनहित याचिका अपने अधिवक्ता के माध्यम से उच्च न्यायालय की खण्डपीठ के समक्ष प्रस्तुत की जिसमें राज्य सरकार द्वारा जवाब प्रस्तुत करते हुए यह प्रकट किया गया कि वर्ष 2016 के पश्चात बायोमेट्रिक पद्वति एंव आधार कार्ड से लिंक करने के पश्चात खाधान्न वितरित किया जा रहा है एंव कई लाईसेंसधारी दुकानदारो का लाईसेंस निरस्त किया जा चुका है ।प्रार्थी के अधिवक्ता ने माननीय राजस्थान उच्च न्यायालय के समक्ष यह तर्क प्रस्तुत किया कि विभाग द्वारा वर्ष 2003 से 2016 तक के खाधान्न में हुई गडबडी के बारे में किसी प्रकार का स्पष्टीकरण प्रस्तुत नही किया है केवल वर्ष 2016 के पश्चात का स्पष्टीकरण प्रस्तुत किया है अर्थात विभाग यह मानता है कि वर्ष 2013 से वर्ष 2016 तक खाधान्न वितरण में धांधली हुई है । प्रार्थी अधिवक्ता के तर्को से सहमत होते हुए माननीय राजस्थान उच्च न्यायालय की खण्डपीठ ने उक्त जनहित याचिका केा निस्तारित करते हुए खाधान्न एंव आपूर्ति विभाग को वर्ष 2013 से वर्ष 2016 के मध्य ;गेहू, केरोसिन एंव शक्करद्ध खाधान्न वितरण में हुई धांधली के संदर्भ में एक कमेटी गठित कर तीन माह के अंदर अंदर कानूनी कार्यवाही करने के आदेश पारित किये।

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