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शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास द्वारा मक्खन जोशी वेलफेयर सोसायटी एवं एमएस काॅलेज के संयुक्त तत्वावधान् में होगा आयोजन 
हैलो बीकानेर। शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास द्वारा मक्खन जोशी वेलफेयर सोसायटी और राजकीय महारानी सुदर्शन कन्या महाविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान् में 9 नवंबर को ‘व्यक्तित्व का समग्र विकास एवं चरित्र निर्माण’ विषयक राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा।  एमएस काॅलेज में आयोजित होने वाली इस कार्यशाला के मुख्य वक्ता शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय सचिव अतुल भाई कोठारी होंगे। मक्खन जोशी वेलफेयर सोसायटी के सचिव अविनाश जोशी ने बताया कि शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास द्वारा वर्ष 2007 से शिक्षा के माध्यम से विद्यार्थियों के समग्र विकास के लिए कार्य कर रहा है।

न्यास द्वारा मातृभाषा में शिक्षा, शिक्षा में स्वायŸाता, पर्यावरण शिक्षा, वैदिक गणित, तकनीकी शिक्षा में नैतिकता, चरित्र निर्माण एवं व्यक्तित्व के समग्र विकास तथा मूल्य परक शिक्षा पर कार्य किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि न्यास द्वारा सोसायटी के तत्वावधान् में पहली बार बीकानेर में यह कार्यक्रम आयोजित हो रहा है। सात तक होगा पंजीकरण कार्यक्रम संयोजक डाॅ. अनिला पुरोहित ने बताया कि कार्यशाला के लिए 7 नवंबर तक पंजीकरण करवाया जा सकेगा। उन्होंने बताया कि कार्यशाला के दौरान व्यक्तित्व की संकल्पना, अन्नमय, प्राणमय, मनोनय, विज्ञानमय एवं आनंदमय कोश, वैदिक गणित तथा इसके महत्व सहित तकनीकी शिक्षा पर मंथन होगा।

 

उन्होंने बताया कि मक्खन जोशी वेलफेयर सोसायटी द्वारा पूर्व मानव संसाधन विकास मंत्री डाॅ. मुरलीमनोहर जोशी, राज्यसभा सांसद डाॅ. महेश शर्मा, वरिष्ठ साहित्यकार डाॅ. नंद किशोर आचार्य तथा विख्यात शाइर श़्ाीनकाफ़ निज़ाम के व्याख्यान आयोजित किए गए हैं। इस श्रृंखला में यह आयोजन होगा। शिक्षा को युगानुकूल बनाने को लेकर सक्रिय हैं कोठारी आयोजन समिति के जुड़े डाॅ. चंद्रशेखर कच्छावा ने बताया कि अतुल भाई कोठारी शिक्षा के भारतीयकरण एवं उसे  युगानुकूल बनाने को लेकर सक्रिय हैं तथा अब तक देश के विभिन्न क्षेत्रों में इस संबंध में चेतना फैलाने का कार्य कर चुके हैं। कोठारी, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषदमें राष्ट्रीय महामंत्री  एवं राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री का दायित्व संभाल चुके हैं। वे शिक्षा बचाओ आंदोलन समिति के राष्ट्रीय सहसंयोजक हैं। कोठारी विभिन्न मंचों के माध्यम से भारतीय भाषाओं का विषय लगातार उठाते  रहे हैं।

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