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बीकानेर। आरएनबी ग्लोबल विश्वविद्यालय बीकानेर के स्कूल ऑफ लॉ द्वारा दो दिवसीय नेशनल कांफ्रेंस.इमर्जिंग होराइजन ऑफ इंडियन लॉ का आयोजन आरएनबी ग्लोबल विश्वविद्यालय द्वारा के स्कूल ऑफ लॉ द्वारा दिनांक 14 दिसंबर को दो दिवसीय नेशनल कॉन्फ्रेंस का उद्घाटन किया गया।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ भीमराव अंबेडकर विधि विश्वविद्यालय जयपुर राजस्थान के पूर्व कुलपति प्रोफेसर उत्तमचंद सांखला थे। इस नेशनल कॉन्फ्रेंस के पहले दिन पहले वर्किंग सेशन का विषय उपभोक्ता संबंधी विधियों के नए आयाम था। सेशन की शुरुआत करते हुए दिल्ली यूनिवर्सिटी के सहायक आचार्य डॉ अंजय कुमार जो कि रिसोर्स पर्सन थे। उन्होंने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 के द्वारा उपभोक्ताओं के संरक्षण के लिए क्या क्या कदम उठाए गए हैं  इस बारे में विस्तार से जानकारी दी।

डॉ अंजय कुमार ने नवीन उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 में उत्पाद संबंधी दायित्व के बारे में समस्त छात्राओं को और छात्रों को जानकारी दी। उन्होंने बताया कि अब यदि किसी उत्पाद से किसी उपभोक्ता को किसी तरह की शारीरिक हानि होती है तो उस हानि के लिए भी उस उत्पाद के उत्पादक और विक्रेता को हर्जाना देना होगा साथ ही उन्होंने उपभोक्ता मामलों में परिवाद दायर करने के लिए उपभोक्ता सरंक्षण मंचों के क्षेत्राधिकार संबंधी परिवर्तन के बारे में भी श्रोताओं को बताया।

उसके पश्चात स्थानीय राजकीय स्नातकोत्तर विधि महाविद्यालय बीकानेर की सहायक आचार्य मीनाक्षी कुमावत ने अपना पेपर प्रस्तुत किया उनके पेपर का विषय उपभोक्ता संरक्षण ए न्यू एरा ऑफ कॉमर्स एंड टेक्नोलॉजी था।  मीनाक्षी कुमावत ने ई कॉमर्स के युग में उपभोक्ताओं के हितों को सुरक्षित करने में नवीन उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 की भूमिका पर भी प्रकाश डाला। इसी सेशन में वक्ता के रूप में आरएनबी ग्लोबल विश्वविद्यालय बीकानेर के स्कूल ऑफ लॉ के प्रोफेसर द्वारा उपभोक्ता संरक्षण 2019 द्वारा उपभोक्ता संबंधी कानूनों में लाए गए परिवर्तन की महत्ता पर विस्तार से जानकारी दी गई।

उन्होंने नवीन उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम क्रांतिकारी कदम बताया कहा कि इस अधिनियम के द्वारा स्वास्थ्य सेवाओं को अधिनियम के दायरे से बाहर रखा गया है। उसके पश्चात भी अधिनियम अपनी भूमिका बखूबी निभा सकेगा। भोजन अवकाश के बाद इस नेशनल कांफ्रेंस के दूसरे वर्किंग सेशन का आरंभ किया गया प् दूसरे वर्किंग सेशन का विषय भारत में बौद्धिक संपदा अधिकार का संरक्षण था। इस सेशन के अध्य्क्षता दिल्ली यूनिवर्सिटी के डॉ अजय कुमार ने की वहीं इस सेशन की रिसोर्स पर्सन के रूप में राजकीय स्नातकोत्तर विधि महाविद्यालय बीकानेर की प्रोफेसर डॉक्टर कुमुद जैन थी। उन्होंने अपना पेपर इंडियन फार्मास्यूटिकल पेटेंट लॉ एंड प्रॉब्लम्स पर प्रस्तुत किया और हाल ही में सरकार द्वारा जीवन रक्षक दवाइयों पर अनिवार्य लाइसेंस देने के कदमों और पेटेंट अधिनियम 1970 के प्रावधानों के संबंध को प्रमुखता पूर्वक रेखांकित किया।

दूसरे वक्ता के रूप में एलएलबी प्रथम सेमेस्टर के छात्र दीप्तम कीर्तनया ने भारत में दवाइयों के संबंध में बौद्धिक संपदा अधिकार संबंधी कानूनों पर प्रकाश डाला। तीसरे वक्ता के रूप में स्कूल ऑफ लॉ के डीन प्रोफेसर प्रोफेसर जीण्एसण्करकरा ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर विधिक नियंत्रण विषय पर अपने विचार व्यक्त किए। सेशन की समाप्ति अंजय कुमार की संक्षिप्त टिप्पणी के साथ हुआ और उन्होंने भारत में बौद्धिक संपदा संबंधी अधिकार और विधियों की को और मजबूत करने की आवश्यकता को रेखांकित किया।

दूसरे सेशन के अंत में सेशन के रिपोर्टर्स के रूप में सहायक आचार्य कादंबरी व्यास ने सत्र की रिपोर्ट को प्रस्तुत किया। प्रथम दिन के तीसरे सेशन का विषय वैयक्तिक विधियों में सुधार की आवश्यकता था। सेशन की अध्यक्षता जयपुर नेशनल यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर कोमल औदिच्य ने की। वही रिसोर्स पर्सन के रूप में प्रोफेसर सांखला थे। उन्होंने मुस्लिम विधियों में सुधार की आवश्यकता पर अपने विचार व्यक्त किए और तलाक के संबंध में हाल में ही संसद द्वारा पारित किए गए अधिनियम के प्रावधानों को विश्लेषक किया।

दूसरे वक्ता के रूप में आरएनबी ग्लोबल विश्वविद्यालय बीकानेर के स्कूल ऑफ लॉ के प्रोफेसर डॉ उदय देशपांडे ने यूनिफॉर्म सिविल कोड तथा जनसंख्या नियंत्रण विषय पर अपना पेपर प्रस्तुत किया। उन्होंने समान नागरिक संहिता को वर्तमान समय की आवश्यकता बताया और समान नागरिक संहिता को धार्मिक आस्था का विषय ना होने की बात भी रखी। तीसरे वक्ता के रूप में सहायक आचार्य सोफिया कौसर ने हलाला विवाह को समाप्त करने की आवश्यकता पर अपना पेपर प्रस्तुत किया। उन्होंने इसे एक सामाजिक बुराई बताते हुए इस पर विधिक नियंत्रण की आवश्यकता को रेखांकित किया।

चतुर्थ सेमेस्टर की छात्रा अनमोल पारख जैन ने व्यक्तिगत विधियों में सुधार की गुंजाइश विषय पर अपना पेपर प्रस्तुत किया प् अगले वक्ता के रूप में हिंदू विधि में सुधार विषय पर प्रोफेसर जी एस करकरा ने अपने विचार व्यक्त किए। तीसरे सेशन के अंत में सेशन के अध्यक्ष प्रोफ़ेसर कोमल औदीच्य ने सभी वक्ताओं के विचारों का विश्लेषण किया और रिपोर्टर्स के रूप में सोफिया कौसर ने सेशन की रिपोर्ट प्रस्तुत की।

इस नेशनल कॉन्फ्रेंस के दूसरे दिन भी 3 वर्किंग सेशन का आयोजन किया गया है पहले वर्किंग सेशन का विषय पर्यावरणीय विधियों के बदलते हुए रुझान और न्यायपालिका की भूमिका है। इस सेशन में कई वक्ताओं को आमंत्रित किया गया है। दूसरे सेशन का विषय है भारत में आपराधिक विधियों में सुधार की आवश्यकता है। तीसरे सेशन का विषय व्यवसायिक लेनदेन के संबंधित विधियां है। 16 दिसंबर को इन तीनों वर्किंग सेशंस में देश के कई प्रख्यात विधि विज्ञानों द्वारा विशेषज्ञों द्वारा अपने पेपर का प्रदर्शन या वाचन किए जाने की संभावना है ।

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