वेश्याओ की पिडा शिर्ष स्तर पर भी छलक रहा है।
पत्रकार कमलेश शर्मा की स्पेशल रिपोर्ट
भारत देश मे नारी का अपमान सालो से चला आरहा है। नारी को पुरूष ने हमेशा अपनी जरूरत की वस्तु के रूप मे काम मे लिया है। और सालो से नारी इस दुख को अपना भाग्य समझ कर भोग रही है। सरकार चाहे कितने भी दावें कर ले आज भी कई क्षेत्रो मे नारी को बराबर का दर्जा इस देश मे नही दिया जाता है। किसी ना किसी बंधन मे बंधी नारी आज भी लाचार और अपने आप को बेबसी की जंजीरो मे जकडी नजर आयेगी। जिस नारी को भगवान ने भी खुद से बडा दर्जा दिया आज उसी नारी की दशा देखो पहले गर्भ मे मरने का डर ,और अगर जिंदा बाहर निकली तो हवानो का डर और अगर वो उनसे भी बच गई तो दहेज लोभीयो का डर उसके मन मे बसा रहता है। एक नारी जब पुरे जग से हार जाती है तो वह अपने जीवन को जीने के लिए अकेले ही इस संसार मे जिने की कोशिश करती है। लेकिन हवानो के द्वारा उन पर अपनी तुष्ण ईच्छा के कारण अपनी हवस का शिकारी बना लिया जाता है। और इस गंदगी मे वो एक नये नाम से जानने लगती है जिसे हम वेश्या का दर्जा देते है ।कोई भी नारी अपनी स्वेच्छा से वेश्या नही बनती है समाज के दरिदे ही उसे विवश करते है और उसे वेश्या का नाम भी उनके द्वारा ही दिया होता है। एक नारी अपने सुहाग को बचाने के लिए नाजाने कितने करवॉ चौथ करती है पर विडम्बंना देखो नारी की वो अपनी लाज नही बचा पाती है आज संसार मे वेश्या को लोग देखते तो बुरी नजरो से है। लेकिन ऑखो मे हवस भरी रहती है। कोई भी नारी अपने जीवन को इस गंदगी मे नही पलने देना चाहती है। लेकिन समाज मे फैली गंदगी व बुराई उसे इस गंदगी मे खिचं लाती है। हर एक व्यक्ति को उसके जिस्म से चाह होती है। लेकिन कोई उसकी विडम्बंना नही समझता है। और एक दिन वो पेशेवर वेश्या के नाम से जानी जाती है। जिसकी जिदंगी समाज से अलग होती है। उसके कोख से पैदा होने वाली भी इस माहौल मे अपने आप को ढाल लेती है। आज तक ना जाने कितनी बार सरकार बनी कितनी बार सरकार बिगडी किन्तु आज तक किसी सरकार ने इस मामले मे कोई ठोस कदम नही उठाये। आखिर समाज मे इनको जिने का हक क्यू नही दिया जाता है। आखिर कब तक इस दर्द के साथ उसे जिना पडेगा। सरकार या प्रशासन चाहे तो समाज मे फैली इस बुराई को खत्म कर इन्हे भी समाज के साथ चलना सिखा सकती है। जिससे आने वाली पिढी इस कलंक से मुक्ति पा सके। आज सरकार के साथ साथ समाज के हर व्यक्ति को बदलना होगा । हर व्यक्ति की आखो मे हर नारी बहन व मॉ के रूप मे होगी तब ही देश मे बदलाव सम्भव है। आज की सोच से देश के कल मे बदलाव है।
चौकाने वाला कडवा सच जो आपको रूबरू करवायेगा उन आकंडो से जिससे देश का युवा अपने भविष्य को अंधकार मय स्थिति मे कितनी तेजी से बढ रहा है। तथा देश की नारी शक्ति कैसे इस दलदल मे फंसती जा रही है। देखिए रिर्पोट एक नजर ………..
1 सेक्स रेकेट खुलासे के कुछ तथ्य जो बयां कर रहे है। उन लोगो के बारे मे जो अपने निजी स्वार्थ व ऐशो आराम के लिए भोली भाली लडकियो को इस दलदल मे फंसा रहे है। और शर्म की बात ये है कि यह सब हमारी आखो के सामने है फिर भी हम चुप है। …….
जिस्मफरोशी से रोज होती थी 10 लाख की कमाई——-
दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच टीम ने जिस्मफरोशी के धंधे से जुड़े एक बड़े गिरोह का पर्दाफाश किया है। पुलिस ने इस रैकेट की सरगना और कोठा किंग के नाम से मशहूर सायरा बानो व उसके पति अफाक सहित 8 लोगों को गिरफ्तार किया है।इस गिरोह पर 5 हजार से ज्यादा लड़कियों को जिस्मफरोशी के धंधे में धकेलने का आरोप है। पुलिस ने सभी आरोपियों पर मकोका के तहत मामला दर्ज कर लिया है साथ ही पुलिस मामले मे छानबीन कर रही है ताकि रैकेट की जड़ तक पहुंचा जा सके।
अब तक 100 करोड़ से भी ज्यादा की कर चुके हैं कमाई———-
पुलिस ने दावा किया है कि सायरा और अफाक ने सालों से लड़कियों का सौदा कर रहे थे। ये दोनो 20 से 50 हजार रुपए में गरीब लड़कियों को खरीदकर 2 से 5 लाख रुपए में उनका सौदा कर देते हैं। पुलिस को अंदाजा है कि ये दोनो अबतक लगभग 100 करोड़ से भी ज्यादा की कमाई कर चुके हैं।
स्पा व ब्यूटी पार्लर की आड मे पनप रही है वेश्यावृति का गौरख धंधा———
देश मे वेश्यावृति ने अपनी गति समय से भी तेज कर रखी है। बदलते समय के अनुसार रैकेट चलाने वालो ने अपने सैक्स रैकेट को चलाने के लिए नए नए तरिके अपना रहे है। जिसमे स्पा व ब्यूटी पार्लर कों सैक्स रैकेट वालो ने अपना सेन्टर बना रखा है। जहॉ से इनकी आड मे वह अपने धंधे को पनपा रहे है। साथ ही पार्लर व स्पा मे आने वाली लडकियो को बहला फुसला कर अपने धंधे मे डालने का प्रयास करते है। उच्चे षौक रखने वाली लडकियॉ पैसो के लालच मे इनके झांसे मे फंस कर अपना जीवन तो तबाह कर ही रही है। साथ ही अपने दोस्तो को भी इस कार्य के लिए दबाव बनाने का प्रयास कर उन्हे भी इस नर्क की जिन्दगी मे डाल देती है।जो लोग स्पा व ब्यूटी पार्लर की आड मे सैक्स रैकेट चला रहे चंद लोगो की वजह से आज बाकि के स्पा व पार्लर को भी इनकी बदनामी झेलनी पडती है। आश्चर्यजनक तथ्य यह है कि स्पा व ब्यूटी पार्लर की आड़ में सैक्स रैक्ट के कई मामले उजागर भी हा चुके है, मगर फिर भी धंधा थमने का नाम नहीं ले रहा है, क्योंकि ज्यादातर ब्यूटी पार्लरों को रंगीन मिजाज राजनेताओं तथा सरकारी तंत्र का संरक्षण प्राप्त है।
सोशल मिडिया व इंटरनेट निभा रहा है सैक्स रैकट के लिए मिडियेटर की भूमिका=====
सोशल मिडिया व इंटरनेट सैक्स रैकेट मे मिडियेटर की भूमिका निभाता नजर आ रहा है। आज सैक्स रैकेट गिरोह फेसबुक , व्हाटस्प ,आदि से लोगो को व लडकियो को अपने झांसे मे आसानी डालते नजर आ रहे है। इंटरनेट के माध्यम से यह धंधा फल फूल रहा है। सोशल मिडिया व इंटरनेट पर वन नाइट फ्रेडशिप , दोस्ती ,डेट आदि लुभावनी चिजो से अपने धंधे को तो बढा ही रहे है। साथ ही देष के युवाओ को इस अधंकार के जीवन मे ढकेलने का भी काम कर रहे है। आज का युवा अपना अधिंकाश समय इंटरनेट पर बिताता है। और इस बात का फायदा सैक्स रैकेट चलाने वाले उठा रहे है।
वेश्याओ की पिडा शिर्ष स्तर पर भी छलक रहा है।——————
प्रशासन से लुखा छिपी की आड मे वेश्यावृति को चलाने के चक्कर कई पेशेवर महिला एडस का शिकार हो रही है। कारण कुछ भी हो लेकिन हमारे समाज का ही ये भी एक अंग है। जो कि अपने आप को सुन्दर बनी रहने व खुद को कम उम्र की दिखाने के चक्कर मे जो मेडिसन ये ले रही है। उससे कैसरं व एडस जैसी खतरनाक बिमारी होने का डर है। साथ वेश्यावृति के धंधे को जोरो शोरो से चलाने के चक्कर मे गिरोह के द्वारा नाबालिग लडकियो को इस धंधे मे बहला फुसला कर डाल रहे है जिसके चलते 2009 मे भी सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा है कि यदि वेश्यावृत्ति को रोकना व्यावहारिक रुप से संभव नहीं है तो वह इसे क़ानूनी रुप से वैध क्यों नहीं कर देती अदालत ने कहा है कि दुनिया में कहीं भी क़ानून में सज़ा का प्रावधान करके वेश्यावृत्ति को रोका नहीं जा सका है और वह किसी न किसी रुप में मौजूद ही है न्यायमूर्ति दलवीर भंडारी और न्यायमूर्ति एके पटनायक के पीठ ने बुधवार को सॉलीसिटर जनरल यानी महान्यायवादी से कहा जब आप इसे दुनिया का सबसे पुराना पेशा कहते हैं और इसे क़ानून के ज़रिए रोक नहीं पा रहे हैं तो फिर इसे क़ानूनी रुप क्यों नहीं दे देते पीठ ने कहा कि क़ानूनी रुप देने के बाद इस पेशे से जुड़े लोगों पर नज़र रखनाए उनका पुनरुद्धार करना और उनको चिकित्सकीय सहायता उपलब्ध करवाई जा सकेगी देश में बड़े पैमाने पर बच्चों की ख़रीद फ़रोख़्त के ख़िलाफ़ दायर एक जनहित याचिका में सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी की यह याचिका बचपन बचाओ आंदोलन नाम की एक संस्था ने दायर की है सर्वोच्च न्यायालय ने इस बात पर भी आश्चर्य व्यक्त किया कि जब सकल घरेलू उत्पाद ;जी़डीपी मे बढ़ोत्तरी हो रही है तो फिर क्यों 37 प्रतिशत आबादी ग़रीबी रेखा के नीचे रह रही है समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार पीठ ने कहा हम जीडीपी में बढ़ोत्तरी की बात कह रहे हैं पता नहीं कि हम किस विकास की बात कर रहे हैं जब ग़रीबी रेखा के नीचे रहने वाले लोगों की संख्या 30 प्रतिशत से बढ़कर 37 प्रतिशत तक जा पहुँची है अदालत ने कहा कि बच्चों की तस्करी और वेश्यावृत्ति में ग़रीबी की वजह से बढ़ोत्तरी हो रही है और इसे रोका जाना चाहिए