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‘‘बिस्मल-अशफाक सदभावना शिखर सम्मान’’ सरफरोश कार्यक्रम

हैलो बीकानेर। अमर शहीद बिस्मिल-अशफ़ाक को नमन करना हमारी विरासत-परम्परा को समृद्ध करना है। शहीदे आजम बिस्मिल-अश्फाकक की शहादत को किया नमन जंगे आजादी के लिए अपना महान् त्याग, बलिदान, समर्पण भाव रखने के साथ देश के लिए कुर्बानी देने वाली महान् विभूतियों को नमन करना हमारा नैतिक दायित्व है। इसी सामाजिक सरोकार का निर्वहन करते हुए बीकानेर की धरा पर शहीदे आजम पण्डित रामप्रसाद बिस्मिल और अशफ़ाक उल्ला खां को नमन करना एवं उनके महान् कार्यो के साथ सांझा-संस्कृति और भाषायी एकता को नई पीढ़ी तक पहुँचाना एक सकारात्मक पहल एवं प्रयास है।

बीकानेर 19 दिसम्बर 2017 प्रज्ञालय संस्थान एवं गरीब नवाज यूथ फेडरेशन द्वारा आयोजित दो दिवसीय ‘सरफरोश’ कार्यक्रम का यही केन्द्रीय भाव है। स्थानीय नागरी भण्डार कला दीर्घा में आयोजित इस कार्यक्रम के प्रथम दिन की अध्यक्षता करते हुए पूर्व महापौर भवानी शंकर शर्मा ने कहा कि आजादी के महान् क्रांतिकारी बिस्मल और अशफ़ाक भारत मां के वो सपूत थे जिन्होंने देश के लिए हँसते-हँसते अपना सब कुछ होम दिया।

1925 में इन महान् देशभक्तों के कारण ही आजादी के आंदोलन में नये तेवर आए एवं देश का नौजवान इस देश की सांझा-संस्कृति भाषायी एकता एवं मानवता के महान् मूल्यों का निर्वहन करते हुए देश के लिए मर मिटने को तैयार हो गया था। ऐसी महान् आत्माओं को नमन करना एक पावन कर्म है। ऐसे आयोजनों से हमारी भाषायी एकता एवं संस्कृति प्रगाढ़ होती है। शर्मा ने आगे कहा कि ऐसे आयोजनों के माध्यम से ही हम हमारी आजादी के असल सपूतों के महान् कार्यों एवं उनके बलिदान-त्याग को नई पीढ़ी तक ले जाने का उपक्रम करते हैं, जो इस नगर, प्रदेश एवं देश की समृद्ध परम्परा है, इसका निवर्हन संस्था ने किया वह साधुवाद की पात्र है।

फोटो : राहुल व्यास

सरफरोश के इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरिष्ठ एडवोकेट एवं समाजसेवी मुमताज अली भाटी ने कहा कि हमें गर्व है कि हम ऐसे महान भारत मां के सपूतों को नमन एवं स्मरण कर रहे है, जिन्होंने मजहब-भाषा आदि सभी भेदभाव की दीवारों से परे सिर्फ और सिर्फ देश की आजादी के लिए अपना बलिदान दे दिया। ऐसे आयोजन हमारे भाईचारे की समृद्ध परम्परा को अधिक मजबूत करते है, साथ ही इस नगर की आन-बान-शान का गर्व बढाते है। भाटी ने आगे कहा कि ऐसे आयोजन में उनके सृजनात्मक पक्ष के साथ नमन करना आज के दौर में महत्वपूर्ण है।कार्यक्रम में अपना सानिध्य देते हुए कवि-कथाकार कमल रंगा ने कहा कि बिस्मल-अशफ़ाक दो शरीर-एक आत्मा थे, साथ ही वे भाषायी समन्वय एवं हमारी सांझा संस्कृति के महान उपासक थे। जिन्होंने अपनी कलम एवं अपने शौर्य से देशहित में वो बलिदान दिया, जिससे आजादी के आंदोलन में एक नया तेवर आया और देश का नौजवान इसमें बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने लगा। प्रारंभ में स्वागत भाषण शायर कासिम बीकानेरी ने देते हुए कहा कि संस्था द्वारा इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य जहां इन महान आत्माओं के कार्यो एवं त्याग, तप को नमन करना है, वहीं उन्हें समर्पित सृजनात्मक श्रद्धा व्यक्त करना भी है। कार्यक्रम का संचालन करते हुए युवा कवि-कथाकार संजय पुरोहित ने बिस्मल एवं अशफ़ाक उल्ला के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर व्यापक प्रकाश डालते हुए उनके जांबाज कार्यो के साथ-साथ एक इंसान के रूप में उनसे जुडे़ कई प्रसंग सांझा किए। कार्यक्रम में बिस्मिल एवं अशफ़ाक के साथ रोशन सिंह और राजेन्द्र लाहडी के साथ-साथ काकोरी की अमर घटना में शहीद हुए भारत मां के सपूतों एवं उनके अन्य साथियों को नमन कर उनके राष्ट्रीय प्रेम को स्मरण करते हुए उनके अमर रहने के उद्बोधन से पूरा परिसर गूंजायमान हो गया। कार्यक्रम में बिस्मिल एवं अशफ़ाक के सृजनात्मक योगदान को नमन करते हुए उनकी कविता और शायरी का वाचन नगर के वरिष्ठ कवि-शायरों द्वारा किया गया।

इसमें बिस्मिल की रचना से हमको लटकाएं अगर/सरकार फांसी……और ‘‘ मुन्तजिर रहते हैं हम खाक में मिल जाने को……की बहुत ही शानदार प्रस्तुति वरिष्ठ कवयित्री श्रीमती प्रमिला गंगल ने देकर पूरे वातावरण को वीर रस से सराबोर कर दिया। वहीं बिस्मिल की अन्य रचनाओं का सस्वर पाठ करते हुए मनीषा आर्य सोनी ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। वरिष्ठ शायर बुनियाद हुसैन ने अशफाक की रचना जमीं दुश्मन/जमां दुश्मन/जो थे/पराये हुए और ये झगड़े और बखेड़े मेटकर/आपस में मिल जाओ की बहुत सुन्दर प्रस्तुति देते हुए रचनाकार की मूल भावना को संप्रेषित कर वाह-वाही लूटी। अशफ़ाक की रचना सीखा है हमने/लड़ने का नया तरीका/चलाओ गन मशीने/ सीमा के खड़े…… की प्रस्तुति देकर माहौल को गंभीर बना दिया। कार्यक्रम में बीकानेर के महान सपूत शहीद जेम्स थामस की माताश्री श्रीमती मैरी कुटटी थामस के आज अस्वस्थ होने के कारण उनको अर्पित करने वाला ‘‘बिस्मल-अशफाक सदभावना शिखर सम्मान’’ सरफरोश कार्यक्रम के दूसरे दिन आयोजित ‘काव्य संध्या’ में अतिथियों द्वारा प्रदत किया जायेगा।

कार्यक्रम में शिवशंकर भादाणी, माजिद खां, बी.एल. नवीन, प्रमोद शर्मा, इंजि. आशा शर्मा, गौवर्द्धन चौमाल, रवि शुक्ल, डा. मेघना शर्मा, अबीरचन्द व्यास, पुखराज सोलंकी, अतुल आचार्य, मुरली के.माथुर, अयुब, शमशेर कायमखानी, घनश्याम सिंह, राकेश बिस्सा, शहबाज खान, लीलाधर बोहरा, श्यामसुन्दर हठीला, गिरीराज पारीक, डा.तुलसीराम मोदी, प्रमोद शर्मा, जाकिर अदीब, किशोर बांठिया, श्यामसुन्दर, कन्हैयालाल, मोहनलाल, शिवराम शर्मा, शेख उस्मान गौरी, हरिशंकर आचार्य, मईनुदीन कोहरी, अहमद हारुन, शहराजू खोखर, नरपत सांखला, मोहम्मद रमजान अब्बासी, अब्दुल रहमान, असद रजा भाटी, दीपक स्वामी, अरुण जोशी, मनोज व्यास, मोहन थानवी, विजय व्यास, राहुल व्यायस, अरविन्द थानवी, डा.मोहम्मद फारुख, एम.जहांगीर, मदन जैरी, मुनीन्द्र, अल्लाह बक्श, राकेश पारीक, जय भादाणी, श्रीगोपाल स्वर्णकार, अखाराम चैधरी, धमेन्द्र राठौड., इंजि. सैयद कासम अली, चन्द्रशेखर आचार्य सहित अनेक गणमान्य लोगों ने अपनी गरिमामय साक्षी दी। अंत में सभी का आभार आत्माराम भाटी ने ज्ञापित किया।

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