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बीकानेर। भ्रष्टाचार अक्षम्य अपराध है परन्तु हेमेन्द्र कुमार उपाध्याय के ‘स्टेघूसकाण्डÓ की जांच चार सालों में नहीं किए जाने पर रोष व्यक्त करते हुए यश दवे के पिता विष्णुरतन दवे ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से इच्छामृत्यु की अनुमति मांगी है। दवे ने बताया कि मैं पिछले चार सालों से भ्रष्ट आचरण के लिखित प्रमाण प्रस्तुत कर रहा हूं, परन्तु जांच अधिकारी ओम प्रकाश सारस्वत ने पद का दुरुपयोग करते हुए मेरे लिखित प्रमाणों को जांच में नहीं लेकर तत्कालीन जिला शिक्षा अधिकारी हेमेन्द्र कुमार उपाध्याय द्वारा किए गए ‘घूसकाण्डÓ का खुलासा नहीं किया। उपाध्याय का आरोप पत्र बनाने में देरी किए जाने पर ओम प्रकाश सारस्वत को चार्जशीट देने के आदेश १४.०६.१७ सरकार को नहीं भेजकर वह चार्जशीट निदेशालय स्तर पर रोक ली गई।
इस मामले में मधुसुदन सिंह वरिष्ठ लिपिक की दो वर्षीय वेतन वृद्धियां रोकी जाने का दण्ड दिया जाना प्रमाणित करता है कि ‘घूसकाण्डÓ हुआ तो था। अगर कमेटी बनाने का कहने व कमेटी में नहीं होते हुए स्कूल साथ जाने के आरोप में सरकारी कर्मचारी को दो वर्षीय वेतन वृद्धियां रोकने का दण्ड दिया जा सकता है तो कथित कमेटी के मोहम्मद फारूक, सुरेश छाबड़ा का प्रतिवेदन दिनांक १०.०७.१५ जिसमें प्राचार्य को पांच से छ: दिनों तक का समय सरकार के खिलाफ स्टे लाने के लिए दिया जाना-राजप्रत्रित अधिकारियों द्वारा भ्रष्ट आचारण, पद का दुरुपयोग, कदाचरण, अकर्मणयता, उच्च अधिकारियों के आदेश का विद्रोह किया जाना लोक पदाधिकारियों में व्याप्त भ्रष्टाचार प्रमाणित करता है। ये कथित कमेटी हेमेन्द्र उपाध्याय ने बनाई- ये ही इसके मुख्या थे- इन्हीं के इशारों एवं सहमति से घूसकाण्ड हुआ।
इसके अलावा अन्य गम्भीर तथ्यों को जांच में नहीं लेकर हेमेन्द्र उपाध्याय के बचाव की शिकायत पर महावीर पूनिया से जांच करवाई, परन्तु पूनिया ने भी लिपापोती की। हेमेन्द्र उपाध्याय ने निदेशक के आदेश दिनांक ०६.०७.१६ की घोर अवहेलना करते हुए दिनांक ०१.०४.१६ से दयानन्द पब्लिक स्कूल के अवैध संचालन में सहयोग दिए जाने की जांच मेरे लगातार निवेदन करते हुए बावजूद भी तीन सालों से राजद्रोह व भ्रष्ट अधिकारी का संरक्षण कर रहे है।
दवे ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि हेमेन्द्र उपाध्याय की जांचें बकाया है तो शासन आदेश दिनांक १२-०४-२०१९ द्वारा दोषमुक्त कैसे कर दिया- शासन के आदेश पर रोक लगाई जाकर हेमेन्द्र उपाध्याय गिरोह द्वारा किए गए स्टे ‘घूसकाण्डÓ की निष्पक्षता से आपकी मानिटरिंग में विभागीय जांच को कहे की मेरा पत्र पुटअप कर सरकार को वस्तु स्थिति से अवगत करावें और जांच करावे ताकि स्टे घूसकाण्ड का खुलासा हो सके।
मेरे सशर्त आत्मदाह का नोटिस १०.०७.१५ देने के उपरान्त भी कथित कमेटी द्वारा स्टे लाने के लिए पांच-छ: दिनों का समय दिया जाना। हेमेन्द्र उपाध्याय के ०८.०७.१५ को किससे डील हुई। जिसमें तय किया गया कि ‘जब तक स्टे नहीं आ जावे तब तक स्कूल का रिकार्ड लेकर मत जाओÓ, ‘जितना लेना हो ले लेनाÓ। निदेशालय के फोन दिनांक १०.०७.१५ द्वारा कमेटी बनाने का मना करना तथा तुरन्त प्रभाव से स्कूल का रिकार्ड लाना। जन प्रतिनिधि माननीय डॉ. गोपाल जोशी विधायक मोहदय का सरकार के आदेश की पालना के लिए फोन करना। स्कूल में पुलिस थी तो बलात् कौन कर रहा था? जिससे एएजी पी.आर. सिंह जोधा को १३.०७.१५ एवं २०.०७.१५ को पत्र लिखने पड़े। स्कूल में पुलिस किसने बुलाई ‘या कौन लेकर गया? या स्कूल में पुलिस किसने भेजी?Ó दिनांक १३.०७.१५ को अलका डोली ने मोहम्मद फारुख की किस वकील से बात करवाई? जब दिनांक १०.०७.१५ को मोहम्मद फारुख-सुरेश छाबड़ा ने प्राचार्य को स्टे लाने के लिए पांच-छ: दिनों का समय दे दिया तो मोहम्मद फारुख १३.०७.१५ को स्कूल क्यों गए थे? २१.०७.१५ को स्टे आते ही मेरे सरकार के आदेश की पालना करना के लिए दिया गया ‘सशर्त आत्मदाहÓ नोटिस को आधार बनाकर मेरे खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाना तथा दिनांक ०७.०७.१५ से २१.०७.१५ तक दयानन्द पब्लिक स्कूल में राजकार्य बाधा डालने के लिए कौन-कौन नेता, अधिकारी व समाज सेवक उपस्थित थे? अत: जांच कराई जावे ताकि घूसकाण्ड का खुलासा हो सके।

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