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जयपुर hellobikaner.in कोरोना संक्रमित मरीजों का ध्येय केवल कोरोना से ठीक होने तक ही नहीं होना चाहिए है, बल्कि उसका ध्येय यह भी होना चाहिए कि मैं इस संक्रमण को किसी अन्य में नहीं फैलने दूंगा। आमतौर पर घर में कोई बीमार होता है तो बाकी सदस्य बाहर घूमते रहते हैं। इस पर रोक लगनी चाहिए। बाकी लोगों को भी बीमारी की भयावहता को देखते हुए घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए। बहुत ही ज्यादा जरूरी हो तो एकाध सदस्य घर से बाहर जा सकता है। घर के सभी सदस्यों को ऐसे समय में धैर्य रखते हुए मास्क लगाकर सामाजिक दूरी रखते हुए नियमों का पालन करना चाहिए। यह कहना है वरिष्ठ श्वसन रोग विशेषज्ञ डॉ. मनोहर लाल गुप्ता का।

 

नेशनल मेडिको ऑर्गेनाइजेशन और सेवा भारती की ओर से कोरोना जागरूकता का संदेश देते हुए डॉ. गुप्ता ने कहा कि कोरोना जैसी बीमारी का पैनिक बहुत ज्यादा है। इसमें यह पता नहीं लगता कि बीमारी कब इंसान पर हावी होगी और कब इंसान का ऑक्सीजन लेवल निचले स्तर पर जाना शुरू हो जाएं। अगर हमारा ऑक्सीजन लेवल 94 से ऊपर है, तो हमें इसे बनाए रखना है। ऐसे में हमें ना तो अस्पताल की तरफ देखना है और ना ही सीटी स्कैन कराना है। जो भी कोरोना पॉजिटिव है, उनके परिजन रिपोर्ट आने तक ब्लड टेस्ट वगैरह करवाने के लिए घूमते हैं, ऐसे में वे संक्रमण अधिक फैला सकते हैं। अगर रिपोर्ट नहीं आई है और हमारा ऑक्सीजन लेवल 94 से ऊपर है तो हमें ब्लड टेस्ट या एचआर सिटी करवाने की जरूरत नहीं है। ये टेस्ट चिकित्सक की सलाह पर ही करवाने चाहिए।

 

उन्होंने बताया कि बीमारी के समय में किसी भी इंसान को एक ही चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए। आमतौर पर हम चार-पांच चिकित्सकों से संपर्क कर परामर्श लेते रहते हैं, जिससे बीमारी के उपचार को लेकर असमंजस की स्थिति बन जाती है। एक जगह स्थिर रहें, एक जगह विश्वास रखें और एक ही जगह का उपचार लें। मल्टीपल चिकित्सकों से संपर्क रखने से इलाज बिगड़ता है, सुधरता नहीं है। बीमारी की दशा में यदि ऑक्सीजन लेवल 94 प्रतिशत से नीचे भी आता है तो भी घबराने की जरूरत नहीं है। कई बार सेंसर ठीक से काम नहीं करता, इस कारण ऐसी स्थितियां हो जाती है। पीठ के बल लेटें, दाईं करवट लें, ऑक्सीजन में सुधार हो जाएगा।

उन्होंने बताया कि जितना जल्दी हो सके, हमें वैक्सीन लगवानी चाहिए। यह देखा गया है कि जिन लोगों ने वैक्सीन लगवाई है, उनके गले तक ही असर हुआ है। वे जल्द ठीक भी हुए है। दूसरा सबसे एहतियाती उपाय है मास्क। सार्वजनिक स्थानों के साथ घर में भी मास्क लगाया जाना चाहिए। इसमें कोई बुराई नहीं है। इससे संक्रमण से बचाव हो सकेगा।

देश में कोरोना का कहर है। आम जनजीवन बेपटरी होता जा रहा है। बावजूद इसके समाज का एक वर्ग ऐसा भी है जो कोरोना को बहुत हल्के में ले रहा है। लोग चोरी छिपे विवाह आदि कार्यक्रम में भीड़ जुटाने से बाज नहीं आ रहे हैं। फलस्वरूप कोरोना और विकराल रूप लेता जा रहा है। उन्होंने कहा कि छोटे-छोटे गांवों में भी कोरोना का पालन नहीं हुआ। गांवों में यह धारणा बन गई कि कोरोना शहर की बीमारी है। गांवों में कोरोना को काफी हल्के में ले लिया गया। ग्रामीण कोरोना के बदलते म्यूटेंट को समझ ही नहीं पाए। कोरोना की पहली लहर और उसमें लगे लॉकडाउन को हटाने के बाद लोग तेजी से गांवों की तरफ गए। इस कारण वायरस ने गांवों को भी बड़ी तेजी से अपना निशाना बनाया तथा गांवों में भी वायरस फैलना शुरू हो गया।

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