Dr. Srilal Mohta

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कीर्तिशेष डॉ. मोहता को प्रदेश स्तर पर ई-संवेदनाओं के माध्यम से किया याद

बीकानेर hellobikaner.in ख्याति प्राप्त लोककला मर्मज्ञ एवं वरिष्ठ साहित्यकार कीर्तिशेष डॉ. श्रीलाल मोहता के असामयिक निधन पर शुक्रवार को प्रज्ञालय संस्थान द्वारा ई-संवेदनाओं के माध्यम से उन्हें नमन करते हुए स्मरण किया गया। नगर की साहित्यिक-सांस्कृतिक संस्थाओं के साथ साहित्यकारों, संस्कतिकर्मियों के अलावा प्रदेश के कई साहित्यकारों ने उनके प्रति संवेदनाएं व्यक्त की।

वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. मदन सैनी ने कहा कि डॉ. मोहता समर्पित शिक्षाविद् एवं कुशल संपादक तो थे ही, साथ ही उनका सांस्कृतिक जगत में दिया गया योगदान हमेशा स्मरण किया जाएगा। प्रज्ञालय के कमल रंगा ने कहा कि डॉ. मोहता ने हमारी लोक-संस्कृति, लोक साहित्य और लोक परम्परा को नई पीढ़ी तक पहुंचाने का जो उपक्रम किया, वह सैदव याद रखा जाएगा। वे कला संस्कृति के महान साधक थे।

रफीक एकेडमी के जाकिर अदीब ने कहा कि डॉ. मोहता एक नेक इंसान के साथ लोक-कलाओं पुरोधा थे। इसी क्रम में मस्तान एकेडमी के बुनियाद हुसैन जहीन ने शायर लुधियानवी के एक शेर ‘एक दीया और बुझा और बढ़ी तारीकी/शब की संगीन सयाही से मुबारक कह दो के माध्यम से उन्हें स्मरण किया। लोक जागृति संस्थान के सचिव एडवोकेट इसरार हसन कादरी ने डॉ. मोहता को लोक-कला एवं परम्परा का सच्चा पैरोकार बताया।

करुणा क्लब के हरिनारायण आचार्य ने उन्हें साहित्य के प्रति समर्पित एवं साक्षरता के क्षेत्र में किए गए उनके बहुमूल्य कार्यों को रेखांकित किया। बीकानेर पाग-साफा-पगड़ी के कृष्णचन्द्र पुरोहित ने उन्हें संस्कृति का महान पोषक बताया। बीकानेर साहित्य संस्कृति कला संस्थान के शायर कासिम बीकानेरी ने डॉ. मोहता को स्मरण करते हुए उनके कला एवं साहित्य जगत में दिए गए योगदान के बारे में विस्तार से जानकारी दी। आदर्श नागरिक मोहल्ला समिति के मदन मोहन व्यास ने कहा कि डॉ. मोहता बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे। रचाव संस्थान के राजेश रंगा ने उनकी शिक्षा क्षेत्र में दी गई सेवाओं को याद करते हुए उनके व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला। इसी क्रम में डॉ. फारूक चौहान, गिरिराज पारीक सहित कई साहित्यकारों-संस्कृतिकर्मियों ने उन्हें याद करते हुए उनके कार्यों को नमन किया।

डॉ. मोहता को राज्य स्तर पर कई लोगों ने ई-संवेदना के माध्यम से अपनी श्रद्धा व्यक्त की। सोजत सिटी के वरिष्ठ शायर अब्दुल समद राही, नागौर के साहित्यकार पवन पहाडिय़ा, जैसलमेर से शायर माजिद खाँ, रामलखारा विपुल, जयपुर से साहित्यकार अभिलाषा पारीक एवं सुधीर सक्सेना, कोटा से साहित्यकार डॉ. लीला मोदी एवं विजय जोशी, उदयपुर से संपादक खुर्शीद अहमद, जोधपुर से रजनी अग्रवाल एवं इकबाल कैफ, अजमेर से अखिलेश पालरिया, राजसमंद से कृष्ण कबीरा, बांसवाड़ा से सतीष आचार्य, मारवाड़ जंक्शन से साबिर सागर, दौसा से कृष्ण कुमार सैनी, धोलपुर फारूख धोलपुरी, बूंदी से जयसिंह आसावत सहित अनेक संस्कृतिकर्मियों-साहित्यकारों ने डॉ. श्रीलाल मोहता के साहित्य एवं कला जगत में दिए गए योगदान को याद किया और महान कला मर्मज्ञ को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की।

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