हैलो बीकानेर न्यूज़ नेटवर्क, www.hellobikaner.com, बीकानेर। हिन्दी और राजस्थानी के कीर्तिशेष साहित्यकार लक्ष्मीनारायण रंगा जिन्होंने अपने जीवन के सात दशकों की सृजन यात्रा में एक तरफ साहित्य कि हर विधा में सृजन करते हुए 150 से अधिक पुस्तकों का सृजन संसार रचा। वहीं अपनी रंग निष्ठा के चलते हुए बतौर नाटककार अभिनेता और निर्देशक के रूप में अपनी समर्पित रंग सेवाएं न केवल राज्य बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर देते रहे।
रंगा का बाल साहित्य और बाल रंगमंच के प्रति एक अलग तरह का लगाव एवं समर्पण रहा है। जिसके चलते ही रंगा ने बाल साहित्य की करीब 40 पुस्तकों का सृजन किया। साथ ही प्रदेश की राजधानी जयपुर में दशकों पहले बाल रंगमंच की थरपणा कर बाल रंगमंच को एक सम्बल प्रदान किया।
ज्ञात रहे कि लक्ष्मीनारायण रंगा को उनकी साहित्य साधना के लिए प्रदेश स्तरीय राजस्थानी अकादमी, बीकानेर, संगीत अकादमी जोधपुर एवं साहित्य अकादमी उदयपुर ने उन्हें सम्मानित कर उनकी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति कि लम्बी साधना का सम्मान किया। इसी तरह आप राज्य एवं देश की अनेक प्रतिष्ठित संस्थानों के पुरस्कार एवं सम्मान से पुरस्कृत-सम्मानित हुए है। इसी क्रम में भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के संस्थान-साहित्य अकादेमी नई दिल्ली द्वारा रंगा को राजस्थानी साहित्य में राष्ट्रीय मुख्य पुरस्कार से समादृत किया गया।
रंगा कि साहित्य साधना खास तौर से बाल साहित्य एवं बाल रंगमंच के प्रति समर्पण को मान देते हुए देश कि प्रथम पंडित जवाहरलाल नेहरू बाल साहित्य अकादमी, जयपुर ने कीर्तिशेष लक्ष्मीनारायण रंगा के नाम से वर्ष 2023 से राज्य स्तरीय विशिष्ट बाल साहित्यकार सम्मान प्रारंभ किया है।
लक्ष्मीनारायण रंगा के नाम से स्थापित इस विशिष्ट बाल साहित्यकार सम्मान की स्थापना पर बाल साहित्य अकादमी के अध्यक्ष इकराम राजस्थानी सचिव, राजेन्द्र मोहन शर्मा एवं अकादमी के सभी सदस्यों का आभार ज्ञापित करते हुए रंगा के परिजनों एवं शुभ चिन्तकों में उन्हें साधुवाद ज्ञापित किया है।
इसी क्रम में नगर-प्रदेश एवं देश के अनेक रंगा के शुभचिन्तकों ने अकादमी परिवार को इस निर्णय पर धन्यवाद देते हुए प्रसन्नता व्यक्त की है। रंगा के मान-सम्मान में स्थापित उक्त राज्य स्तरीय सम्मान पहली बार प्रदेश के वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. आईदान सिंह भाटी को आगामी 6 सितम्बर 23 को जयपुर स्थित जवाहर कला केन्द्र में एक भव्य समारोह में अर्पित किया जाएगा।