जयपुर । एक जुलाई, 2017 से पूर्व र्निमित, पैक की गई या आयातित डिब्बा बंद वस्तुएं तथा जिसकी बिक्री नहीं की गई है, पर जीएसटी के द्वारा हुई मूल्य वृद्धि को पूर्व की एमआरपी में 30 सितम्बर, 2017 तक जोड़ने की अनुमति केन्द्र सरकार ने दी है।
उपभोक्ता मामले विभाग के उप निदेशक संजय झाला ने बताया कि निदेशक, विधिक माप विज्ञान, भारत सरकार द्वारा माध्यम से विधिक माप विज्ञान वस्तुएं नियम 2011 के नियम 33(1) में स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि पूर्व में प्रर्दशित एमआरपी तथा नई एमआरपी का अंतर जीएसटी अधिनियम/नियम के माध्यम से बढ़ाई गई दर से ज्यादा नहीं होनी चाहिये। उन्होंने बताया कि पुराना माल जो बेचा जाए उसमें जीएसटी जोड़ते हुए पुरानी एमआरपी के साथ नयी एमआरपी का स्टीकर लगाया जाना अनिवार्य है। साथ ही एमआरपी पर जीएसटी लगाकर डिब्बा बंद वस्तुएं नहीं बेची जायेगी।
श्री झाला ने बताया कि पूर्व एमआरपी डिब्बे बंद वस्तु पर प्रर्दशित रहनी चाहिये और उस पर कांट-छांट नहीं होनी चाहिये। उन्होंने बताया कि निर्माता, पैकर्स व आयातकर्ता एक या दो अखबारों में कम से कम दो विज्ञापन इस बाबत आवश्यक रूप से देंगे तथा डीलर्स को नोटिस के माध्यम से यह सूचना भेजेंगे। साथ ही निदेशक, विधिक माप विज्ञान, भारत सरकार एवं नियंत्रक, विधिक माप विज्ञान, राजस्थान सरकार को डिब्बे बंद वस्तुओं पर परिर्वतित एमआरपी की सूचना प्रेषित की जायेगी।
उपनिदेशक ने बताया कि विधिक माप विज्ञान डिब्बे बंद वस्तुएं नियम 2011 के नियम-06 उपनियम-03 में घटी हुई एमआरपी के लिये एक स्टीकर नई घटी हुई एमआरपी के साथ प्रर्दशित किया जायेगा व पूर्व एमआरपी जो विनिर्माता, पैकर्स, आयातकर्ता द्वारा प्रर्दशित की गई थी, वह यथावत रहेगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि जीएसटी लागू किये जाने के बाद दिनांक 1 जुलाई, 2017 से पूर्व विनिर्माता, पैकर्स एवं आयातकर्ता द्वारा जो पैकेजिंग मेटेरियल या रैपर काम में नहीं लिया गया था, उसको दिनांक 30 सितम्बर, 2017 तक पैकिंग के काम में लिया जा सकेगा या उस तिथि तक जब तक रैपर समाप्त नहीं हो जाये (संशोधित रैपर) या जो भी पहले हो जाये।