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विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली शसिख्यतें सम्मानित

 

श्रीगंगानगर hellobikaner.com धर्म और संस्कृति प्रधान हमारे भारत देश में आज भले ही पग-पग पर आधुनिकता हावी होती दिखाई दे रही है लेकिन फिर भी हमारे देश की पहचान विश्व पटल पर हमारी समृद्ध संस्कृति, त्योहार, उत्सव और परम्पराओं से है।

 

 

सदियों से हमारा देश विश्व गुरु के पद पर प्रतिष्ठित है। गुरु-शिष्य परम्परा हमारी संस्कृति के उत्कर्ष का महत्वपूर्ण सोपान है। गुरु पूर्णिमा का पर्व व्यास पूजन के साथ-साथ गुरु के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने का विशेष अवसर हैं। सामाजिक और धार्मिक संस्थाओं द्वारा पूरे भारतवर्ष में गुरु पूर्णिमा का पर्व बड़े ही उल्लास एवं श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। इसी परम्परा में प्रभु प्रेम ट्रस्ट द्वारा रिद्धि सिद्धि प्रथम में सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। सम्मान कार्यक्रम में विभिन्न क्षेत्रों में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली शख्सियतों का सम्मान किया गया।

 

 

प्रवक्ता मोहन सोनी कूकरा ने बताया कि इस अवसर पर बार संघ के अध्यक्ष एडवोकेट सीताराम बिश्नोई, बीडीआईएस की  प्रिंसिपल  मीतू शर्मा, परफेक्ट क्लासेज के डायरेक्टर पवन कुक्कड़, दन्त चिकित्सक डॉ. कपिल बंसल, डॉ. स्वाति बंसल, वरिष्ठ समाजसेवी विजय गोयल, विद्यार्थी शिक्षा सहयोग समिति के प्रिंसिपल डॉ. रामप्रकाश शर्मा, समाजसेवी सुधीर धूड़िया, योगाचार्य तमन्ना पुंशी, समाजसेवी पीआर शर्मा, सुदेश खुंगर आदि का सम्मान माल्यार्पण एवं सम्मान प्रतीक भेंट कर डॉ. प्रभुदयाल अरोड़ा, मनजीत सिंह बेदी, मोहन सोनी कूकरा, डॉ. पवन अरोड़ा, विपिन सरीन, बबीता अरोड़ा, मंजू अरोड़ा, एडवोकेट रेखा अरोड़ा, मीनू धूड़िया, राकेश अरोड़ा, संजय खेमका, लोकेश गर्ग, अखिल छाबड़ा आदि के द्वारा किया गया।

 

 

सभी अतिथियों का मन्नत अरोड़ा द्वारा तिलक लगाकर स्वागत किया गया। कार्यक्रम का सफल मंच संचालन सुगंधा शर्मा ने किया। प्रवक्ता मोहन सोनी कूकरा ने बताया कि प्रभु प्रेम ट्रस्ट के द्वारा समय-समय पर सामाजिक एवं धार्मिक कार्यक्रमों के साथ-साथ जरूरतमंदों की मदद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। प्रभु प्रेम ट्रस्ट परिवार द्वारा नि:स्वार्थ भाव से लगातार इस तरह के अनेकों आयोजन किए जाते हैं, जिसमें असहाय और निर्धनों की सेवा करना ही प्राथमिकता रहती है। साथ ही धार्मिक, शिक्षा और चिकित्सा के क्षेत्र में विशेष योजनाएं तैयार की गई हैं।

 

 

इनमें निर्धन बच्चों को शिक्षा के लिए सहयोग प्रदान करना, गरीबों को अच्छी चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करवाना और धर्म  से दूर होती हमारी युवा पीढ़ी को पुन: धर्म के साथ जोड़ना और उन्हें हमारे बुजुर्गों द्वारा दिए गए संस्कारों के साथ जीवन जीने के लिए प्रेरित करना आदि प्रमुख है। देशसेवा और देश के प्रति अपने कर्तव्यों के महत्व को समझाने के लिए कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ। कार्यक्रम में शामिल हुए सभी अतिथियों ने खड़े होकर एक साथ एक धुन में राष्ट्रगान गाया।

 

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