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बीकानेर hellobikaner.in शरद पूर्णिमा की रात श्री जुबिली नागरी भण्डार की ऐतिहासिक छत पर शरद पूर्णिमा के पावन अवसर पर शरद महोत्सव का आयोजन किया गया। महोत्सव में हुए कवि सम्मेलन एवं मुशायरा में जहां एक तरफ उर्दू की मिठास घुली, वहीं दूसरी और राजस्थानी की मठोठ और हिंदी के सौंदर्य ने शीतल चांदनी रात में काव्य की ऐसी बयार प्रवाहित कि जिससे वातावरण ख़ुशनुमा हो गया।

 

नगर का सांस्कृतिक वैभव ऐतिहासिक संस्था नागरी भण्डार में नागरी भण्डार ट्रस्ट एवं फन वर्ल्ड वाटर पार्क नाल के साझा आयोजन के तहत बुधवार मध्य रात्रि तक चले ‘शरद महोत्सव’ में नगर के हिंदी, उर्दू एवं राजस्थानी भाषा के लगभग 3 दर्जन से अधिक कवियों, शायरों एवं कवयित्रियों ने अपनी कविताओं की महक बिखेरी और श्रोताओं को आनंद विभोर कर दिया।

नागरी भण्डार के व्यवस्थापक नंदकिशोर सोलंकी ने बताया कि शरद महोत्सव के इस मौके पर विशेष रूप से देश के ख्यातिनाम साहित्यकार पद्मश्री डॉ.सी. पी. देवल का नागरी भंडार द्वारा सम्मान किया गया। सम्मान स्वरूप कार्यक्रम के अतिथियों एवं संस्था पदाधिकारियों द्वारा उन्हें माल्यार्पण, शॉल, श्रीफल, साफा, संस्था की स्मारिकाएं एवं स्मृति चिन्ह भेंट किया गया। सम्मान से अभिभूत होते हुए डॉ सी.पी. देवल ने संस्था का शुक्रिया अदा करते हुए कहा कि नागरी भण्डार संस्था नगर के सांस्कृतिक वैभव को इस तरह के आयोजनों के माध्यम से लगातार उन्नति के पथ पर अग्रसर कर रही है। आपने बीकानेर की कौमी एकता एवं भाईचारे की भी सराहना की और कहा कि इस तरह के आयोजनों से बीकानेर के सांप्रदायिक सौहार्द में इजाफा होता है।

समारोह के मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार लक्ष्मीनारायण रंगा ने अपने उद्बोधन में कहा प्रतिभा का सम्मान करना समाज का दायित्व है। नागरी भण्डार ऐसी समृद्ध परंपरा का निवर्हन कर रही है। वो साधुवाद का पात्र है। ऐसे आयोजनों से नगर की साहित्यिक एवं सांस्कृतिक विरासत को संबल मिलता है और नई पीढी संस्कारित होती है। इसके लिए संस्था के सभी पदाधिकारी धन्यवाद के पात्र हैं।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डॉक्टर अजीज अहमद सुलेमानी ने कहा कि 115 वर्षों से भी पुरानी संस्था नागरी भण्डार कला, साहित्य और संस्कृति के संरक्षण में आज भी अग्रणी संस्था बनी हुई है इसके लिए संस्था की जितनी तारीफ की जाए वह कम है।

महोत्सव के विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार मालचन्द तिवाड़ी, पूर्व न्यास अध्यक्ष महावीर रांका, उपमहापौर राजेंद्र पंवार ट्रस्ट के अध्यक्ष विद्यासागर आचार्य, प्रमिला गंगल, नेमचंद गहलोत, डॉ दिनेश शर्मा, ने भी अपने विचार प्रस्तुत किए और कार्यक्रम की भरपूर सराहना की।

कवि सम्मेलन एवं मुशायरा में कमल रंगा, मालचन्द तिवाड़ी, गुलाम मुहियुद्दीन माहिर, गौरीशंकर मधुकर, बुनियाद जहीन, क़ासिम बीकानेरी, निर्मल कुमार शर्मा, वली मोहम्मद गौरी डॉ.कृष्णा आचार्य, राजाराम स्वर्णकार, बाबूलाल छंगाणी, इरशाद अजीज, संजय वरुण, कमल किशोर पारीक डॉ.तुलसीराम मोदी, शिव दाधिच, जुगल पुरोहित, अमित गोस्वामी मइनुद्दीन नाचीज बीकानेरी, सागर सिद्दीकी, विप्लव व्यास ,असद अली असद, डॉ. जियाउल हसन कादरी, लीलाधर सोनी, धर्मेंद्र राठौड़, डॉ. नृसिंह बिन्नानी, कैलाश टाक, पुखराज सोलंकी एंव समीर गोयल ने अपनी एक से बढ़कर एक रचनाएं प्रस्तुत करके कार्यक्रम को परवान चढ़ाया। इस अवसर पर नगर के गणमान्य लोग मौजूद थे जिनमें मधु आचार्य आशावादी, राजेंद्र जोशी, हरीश बी शर्मा, नगेंद्र नारायण किराडू, डॉ कृष्ण लाल बिश्नोई, सरदार अली पड़िहार, केदारनाथ सुथार, मोहम्मद साबिर, सगीर अब्बासी, सरताज हुसैन, अनवर अली, मोहम्मद शरीफ, जरीफ मोहम्मद,अजीत गोस्वामी,आत्माराम भाटी, डॉ मोहम्मद फारूक चौहान, सीताराम कच्छावा, महेंद्र सोनी, दिनेश सुथार, शिव लाल सुथार, निलय सोलंकी, श्याम सुंदर अग्रवाल, राजा सेवग, जोधराज व्यास, सुमित रंगा, देव शर्मा, अरूण जे व्यास, डॉ रेणुका व्यास, शिवशंकर व्यास, जेपी व्यास, संतोष कुमार शर्मा, दिनेश चौहान, गंगा विशन बिश्नोई, अजीत गुप्ता, शाहिद हसन, राजू पठान, इंदर चंद मालू, प्रवीण मालू ,नरेंद्र सोलंकी, देवकिशन गहलोत, कालू अब्बासी, रामचंद्र अग्रवाल, मोती चंद सोनी, जितेंद्र लूनिया, रजनी, हेमा, मान्या,हिमांश,राजन,हर्ष, छगनलाल एवं गोपाल महाराज आदि मौजूद थे। इस मौके पर खीर का महाप्रसाद का भी आयोजन किया गया।

कार्यक्रम के आरंभ में स्वागत भाषण कमल रंगा ने दिया जबकि अंत में आभार नंदकिशोर सोलंकी ने ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन जाकिर अदीब और कमल रंगा ने संयुक्त रूप से किया

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