जोधपुर में डॉ. मेघना शर्मा की रचना प्रक्रिया पर बात
जोधपुर। सृजना के विमर्श कार्यक्रमों की आज की कड़ी में तुलसी इन के सभागार में बीकानेर की युवा रचनाकार डॉ मेघना शर्मा और जोधपुर के वरिष्ठ रचनाकार हरिप्रकाश राठी की रचनाओं का पहले पाठ और बाद में उन पर व्यापक विमर्श हुआ . इससे पूर्व दोनों रचनाकारों ने अपनी रचना प्रक्रिया भी श्रोताओं से साझा की.
कहानी “पैसेंजर ट्रेन” में मेघना ने अपने सौतेले पिता के षडयंत्र से अपना प्रेम-जीवन खो चुकी शुचि को प्रतिक्रियावादी होने से बचते हुए औरों के लिए भी सकारात्मक बताया है . बेशक उसका अपना जीवन पैसेंजर ट्रेन सा बदरंग हो गया है पर वह एक बेहतर नर्स और अच्छे इंसान का जीवन जीती है. जबकि हरिप्रकाश राठी की कहानी “कौल” का पिता अपनी संतानों को सब कुछ अच्छा देने के जज्बे से लबरेज़ है . वह उन्हें कोई तकलीफ नहीं देना चाहता, इसीलिए वह अपने कैंसर की बीमारी भी उनसे छुपा लेता है .
रचनाओं पर विमर्श करते हुए डॉ सत्यनारायण ने कहा कि पैसेंजर ट्रेन हमारे आज के जीवन का प्रतीक है और राठी की कहानी भाव का प्रभावी सन्देश है . डॉ रमाकांत शर्मा ने मेघना की कहानी को सहज और “कौल” को प्रतिमान स्थापित करने की जिद कहा . रचनाकार मुरलीधर वैष्णव ने बेहतरीन संदेशों वाले जुमलों और पठनीयता की दृष्टि से इन्हें अत्यंत प्रभावी कहानियाँ बताया. रचनाकार नवनीत नीरव ने कहानियों के पात्रों को विश्वसनीय और सामयिक जीवन के प्रभावी चरित्र कहा. रचनाकार संजय व्यास ने दोनों कहानियों के नाटकीय तत्वों को सराहते हुए इन्हें अपरिहार्य बताया. डॉ पद्मजा शर्मा ने कौल कहानी को युवा पीढ़ी के प्रति आश्वस्त करने वाली रचना कहा जबकि डॉ आईदान सिंह भाटी ने पैसेंजर ट्रेन को सामायिक और कौल को कलात्मक रचना कहा. डॉ इश्राकुल माहिर ने कहा कि बेशक ये कहानियां कोई सन्देश नहीं देती पर ये मुकम्मल हैं. कमलेश तिवारी ने कहा कि गद्य में काव्यात्मक भाषा का प्रयोग रोचक और संभवत: रचना की आवश्यकता भी है .
विमर्श का समाहार करते हुए हुए डॉ हरीदास व्यास ने बताया कि रचना प्रक्रिया में अपने भाव प्रवाह के पश्चात लेखक जब स्वयं आलोचनात्मक संशोधन करता है तब निरर्थक अंशों से मुक्ति पा कर रचना की अंतर्ध्वनियां मुखरित होती हैं, ये ही किसी रचना का वास्तविक प्रभाव होती है. रचना की भाषा जीवन के जितनी निकट होंगी ये अंतर्ध्वनियां भी उतनी ही मुखरित होंगी . कार्यक्रम का संयोजन रचनाकार माधव राठौड़ ने करते हुए कहा कि कहानी अपनी विकास यात्रा में आज अनेक चुनौतियों के चौराहे पर खडी है. चर्चा में रामकिशोर फिदौदा,वाजिदहसन,गणेश,गौतम,बाबूखान,सारा शारदा,चंद्रवीर सिंह,अरुण राजपुरोहित,डॉ हरप्रकाश रे आदि ने भी शिरकत की.कार्यक्रम में रचनाकार उपासना,डॉ ज़ेबा रशीद, सुनीता चौधरी, डॉ अनुराधा श्रीवास्तव, दिनेश सारस्वत,विमल मेहरा,रामकृष्ण शर्मा,मोइनुदीन चिश्ती,कल्याण विश्नोई, किरण नितिला,चंद्रकला सारस्वत,अमजद अहसास,नीना छिब्बर सहित अनेक रचनाकर्मी उपस्थित थे। प्रारम्भ में सृजना की अध्यक्षा सुषमा चौहान ने अतिथियों का स्वागत किया.