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‘महीन धागे का रिश्ता’ के लोकार्पण के साथ ही नट साहित्य-संस्कृति संस्थान का त्रिदिवसीय साहित्य-समारोह सम्पन्न
औरत के मन को समझने और अभिव्यक्त करने की कवायद – डॉ.हुसैन
हैलो बीकानेर। नट साहित्य एवं संस्कृति संस्थान की ओर से आयोजित त्रि-दिवसीय साहित्य-समारोह के तीसरे दिन रविवार को धरणीधर रंगमंच पर श्रीमती सीमा भाटी के कहानी संग्रह ‘महीन धागे से बुना रिश्ता’ का लोकार्पण किया गया। गायत्री प्रकाशन से प्रकाशित इस कृति के लोकार्पण समारोह के मुख्य अतिथि श्रीडूंगर महाविद्यालय में उर्दू विभागाध्यक्ष डॉ.मोहम्मद हुसैन थे।
डॉ.हुसैन ने इस अवसर पर कहा कि यह कहानी संग्रह स्त्री के मन के दर्द का एक ऐसा कोलाज है जो पहली बार खुलकर सामने आया है। कहानी लेखिका सीमा भाटी ने बहुत ही शिद्दत से औरत के मन को समझने और अभिव्यक्त करने का प्रयास किया है। हुसैन ने कहा कि इन कहानियों में समर्पण, त्रासदी और स्वार्थ कई-कई रूपों में सामने आते हैं और यही वजह है कि इन की कहानियों किरदार पाठकों से गहरा रिश्ता बनाने में कामयाब होते हैँ। उन्होने कहा कि यह संग्रह हिन्दुस्तानी जुबान में लिखा गया एक ऐसा संग्रह है जिसमें उर्दु और हिन्दी का बेहतरीन प्रयोग किया गया है। इस रूप में सीमा भाटी को प्रदेश की चुनिंदा उर्दु की महिला रचनाकारों में से एक कहा जाए तो अतिश्योक्ति नहीं होगी।
कार्यक्रम के अध्यक्ष वरिष्ठ रंगकर्मी-पत्रकार मधु आचार्य ‘आशावादी’ ने इस मौके पर कहा कि ‘महीन धागे से बुना रिश्ता’ कहानी संग्रह की व्यक्ति के अंतर्संबंधों का संवेदनात्मक अन्वेषण है। दस कहानियों का यह संग्रह विषय और शिल्प की दृष्टि से अनूठा है। कहानीकार सीमा भाटी ने अपनी कहानियों में बहुत सारे ऐसे विषय उठाएं हैं जो आधुनिक जीवन मूल्यों को सीधी चुनौती देते हैं । यह कहानियां आज के समय की कहानियां हैं। उन्होंने कहा कि बीकानेर में महिला लेखन में किसी मायने में कम नहीं है, सीमा भाटी नई पीढ़ी की ऊर्जावान हस्ताक्षर के रूप में सामने आई हैं।
विशिष्ट अतिथि राजस्थान राज्य अभिलेखागार के निदेशक डॉ.महेंद्र खडग़ावत ने इस मौके पर कहा कि लेखिका सीमा भाटी का भले ही यह पहला संग्रह हो लेकिन संभावनाएं नजर आ रही हैं। अगर हमें वास्तव में समाज को देखना है तो स्त्री के नजरिये को भी समझना होगा। ‘महीन धागे से बुना रिश्ता’ की कहानियां समाज को स्त्री के नजरिये से देखने की मांग करती है और कथानकों के माध्यम से बहुत सारी ऐसी बातें सामने लाती है जिस पर अभी तक समाज के एक बहुत बड़े तबके को ध्यान ही नहीं गया है। उन्होने कहा कि लिखित इतिहास का अपना महत्तव है लेकिन जहां लिखित इतिहास मौन हो जाता है वहाँ साहित्य ही कडियां जोडने का काम करता है यही पर साहित्य महत्वपूर्ण हो जाता है।
इससे पहले पत्रवाचन करते हुए कवयित्री-कहानीकार ऋतु शर्मा ने कहा कि सीमा भाटी की कहानियों का केनवास काफी विस्तृत हैं। ‘महीन धागे से बुना रिश्ता’ के पात्र अपने आसपास के लोग ही लगते हैं और कई बार ऐसा लगता है कि ये कोरी कहानियां नहीं है बल्कि जीवन से उठाए हुए संदर्भ हैं।

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लेखिका सीमा भाटी ने इस मौके पर कहा कि साहित्य जगत में यह एक पहल है और कोशिश यही रही कि पहली किताब गद्य विधा में आए। बीकानेर का साहित्यिक माहौल नई पौध को संरक्षण देने वाला है और यही वजह है कि आज मेरी किताब आई है।
प्रारंभ में अतिथियों का स्वागत भाषण श्रीलाल भाटी ने किया। लेखक का परिचय आत्माराम भाटी ने दिया। आभार धूमल भाटी ने जताया। कार्यक्रम कां संचालन हरीश बी.शर्मा ने किया।
इस अवसर पर वरिष्ठ कथाकार भंवरलाल भ्रमर, डॉ.मदन सैनी, पवन शर्मा, आशीष पुरोहित, घनश्यामनाथ कच्छावा, गायत्री शर्मा को भी सम्मानित किया गया।
इस मौके पर सीमा भाटी का अनेक संस्थाओं ने सम्मान भी किया।
इस अवसर पर भवंर लाल मूमर, यशपाल गहलोत, महिर साहब, आनन्द वि आचार्य, नदीम अहमद, नीरज दईया, राजेन्द्र जोशी, आनन्द जोशी, राजाराम स्वर्णकार, दीपचन्द सांखला, डॉ मदन सैनी, सरदार अली पडिहार, आर के सुतार, डॉ गौरी शंकर प्रजापत, श्रीलाल जोशी, पत्रकार राजेश के ओझा, रामसहाय हर्ष, चंचला पाठक, नगेन्द्र किराडू, उषा किरण सोनी, बसंती हर्ष, पेंटर धर्मा, वली गौरी वली, कमल रंगा, डॉ सुलक्षणा दत्ता, श्री दत्ता, एन डी रंगा, गुलाब गहलोत, आत्माराम भाटी, नरसिंह भाटी, डॉ जिया उल हसन कादरी, मनीषा आर्य सोनी, इकबाल हुसैन, जगमोहन सक्सैना, संगीता शर्मा आदि उपस्थित थे।

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