चूरू , जितेश सोनी । धर्मसंघ विश्वविद्यालय चूरू के पूर्व विद्यार्थी और अब अमेरिका व कनाडा के अध्यात्म के प्रचार प्रसार में रत आध्यात्मिक गुरू वीरेन्द्र मिश्र गुरू शास्त्री ने कहा कि यदि धर्मधरा गुरू नगरी में जिला प्रशासन और सामजसेवी सहयोग प्रदान करें तो वे निकट भविष्य में अनाथ बच्चों के हितार्थ स्वामी शिवानन्द अनाथ आश्रम की स्थापना करेंगे। शक्ति पैलेस सभागार में आयोजित अप्रवासी भारतीयों के अभिनन्दन समारोह में अपने भावी कार्यक्रमों की जानकारी देते हुए शास्त्री वीरेन्द्र मिश्र ने बताया कि उन्होने स्वामी शिवानन्द से शिक्षा-दीक्षा ग्रहण की थी। और अब अपने ऋषि ऋण से उऋण होने के लिए इस तरह के लोक कल्याणकारी मानवतावादी कार्य को साकार स्वरूप् प्रदान करना चाहते है। समारोह के मुख्य अतिथि जिला प्रमुख हरलाल ने इस अवसर पर संबोधित करते हुए विश्वास दिलाया कि पंचायत राज मंत्री राजेन्द्र सिंह राठौड़ तथा जिला प्रशासन सहित यहां से हर सहयोग इस योजना के लिए दिया जायेगा। जिला प्रमुख सहारण ने मंच से ही जिला कलक्टर से मोबाईल पर इस विषय में बात करते हुए स्पष्ट किया कि यदि इस तरह की कोई संस्था रजिस्टर्ड हो तो यहां आश्रम के लिए दो तीन बीघा जमीन अलाॅट की जा सकती है। कार्यक्रम में अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ राजस्थानी साहित्यकार भंवर सिंह सामौर ने दो शताब्दी पूर्व भारत से जबरदस्ती ले जाये गयेगिरमिटिया मजदूरों के बारें में जानकारी देते हुए बताया कि फिजी में बसने वाले तमाम भारतीय गिरमिटिया मजदूरों ने अपनी संस्कृति अपने संस्कार को नहीं छोड़े और आज भी इसी कारण यहां पधारे हुए अप्रवासी भारतीय धर्मकर्म संस्कृति संस्कार में विश्वास रखते है। शिक्षविद् सामौर ने स्पष्ट किया है कि संस्कृति संस्कारों को बनाती है। और संस्कृति बहुत महत्त्वपूर्ण है। तथा पूरें संसार का हद्य स्थल भारत भूमि है। और भारत का हद्य स्थल राजस्थान है।,जबकि राजस्थान का हद्य स्थल धर्मनगरी चूरू है। क्योंकि इस चूरू के आसपास सरस्वती नदी बहती है। जिसके किनारें पर आश्रम हमारे पुरखो व ऋषि मूनियों ने वेद पुराण कर रचना की थी। अभिषेक चोटिया के संयोजन संपन्न इस समारोह में आध्यात्मिक गुरू माता सुमन मिश्र सहित 30 अप्रवासी भारतीय पर्यटकों का मुख्य अतिथि जिला प्रमुख हरलाल सहारण,समाजसेवी सुशील बजाज,धर्मप्रेमी शक्तिसिंह और मरू मंगल युवा संस्थान अध्यक्ष सतीशचन्द्र आदि ने माल्यार्पण कर स्वागत किया। तथा सभी को श्रीमद्भागवत गीता व ब्रह्मलीन स्वामी शिवानन्द की पुण्य समृति में प्रकाशित कथाएं व भजन संग्रह की प्रति भेंट की। समारोह में शिक्षाविद् उमाशंकर बहड़ उपस्थित थें। अन्त में विशिष्ट अतिथि शक्तिसिंह ने आभार व्यक्त किया। विदेश में संस्कृति सभ्यता संस्कार कायम रखने वाले 31 सदस्य दल ने बाद में धर्मसंघ विश्वविद्यालय सहित नगर के विभिन्न ऐतिहासिक स्थलों का अवलोकन किया।